Rakesh Kishore Suspended: देश के न्यायालयिक तंत्र में एक बड़े विवाद के बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अधिवक्ता राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से अदालतों में प्रैक्टिस करने से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने के प्रयास के बाद की गई है, जो न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला गंभीर मामला माना जा रहा है।
घटना का संक्षिप्त विवरण
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में राकेश किशोर ने दिल्ली के उच्चतम न्यायालय में आयोजित एक सत्र के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। इस असामान्य और अनुचित कृत्य को लेकर तत्काल अदालत में मौजूद अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया। इस घटना से न्यायालय परिसर में हड़कंप मच गया और सुरक्षा प्रबंधों को कड़ा कर दिया गया।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की कार्रवाई
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले को लेकर तुरंत जांच शुरू की। जांच के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ नियमों और आचार संहिता के उल्लंघन के ठोस प्रमाण मिले। इसलिए BCI ने उनके खिलाफ तत्काल निलंबन की सजा सुनाते हुए कहा कि अदालतों में प्रैक्टिस के लिए यह कृत्य पूर्णतः अनुचित और न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ है। BCI के प्रवक्ता ने कहा “हम किसी भी प्रकार के असभ्य और अनुचित व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करते, विशेष रूप से जब वह न्यायपालिका के सर्वोच्च पदाधिकारियों के खिलाफ हो।”
न्यायपालिका की गरिमा पर चोट
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने भी इस घटना की निंदा की है और कहा है कि”न्यायपालिका की गरिमा और स्वतंत्रता सर्वोपरि है। किसी भी तरह का हिंसात्मक कृत्य न्यायालय की कार्यप्रणाली और सम्मान के खिलाफ है।”इस प्रकार की घटनाएं न केवल न्यायिक तंत्र की छवि खराब करती हैं, बल्कि न्यायपालिका के प्रति जनविश्वास को भी प्रभावित करती हैं।
अधिवक्ताओं के बीच तनाव
इस मामले के बाद अधिवक्ता समुदाय में भी चिंता और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि न्यायपालिका के प्रति सम्मान बनाए रखना प्रत्येक अधिवक्ता की जिम्मेदारी है। कुछ समूहों ने मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
राकेश किशोर द्वारा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने के प्रयास की घटना ने देश के न्यायिक तंत्र को हिलाकर रख दिया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया की त्वरित कार्रवाई ने एक सशक्त संदेश दिया है कि न्यायपालिका और उसके सर्वोच्च पदाधिकारियों के खिलाफ अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।यह घटना देश के कानूनी पेशे और न्यायपालिका के प्रति सम्मान की भावना को बनाए रखने की आवश्यकता को दोबारा रेखांकित करती है।
