Bareilly Bridge Accident: गूगल मैप्स पर भरोसा पड़ा भारी उत्तर प्रदेश के बरेली में रविवार को गूगल मैप पर गलत दिशा दिखाए जाने से बड़ा हादसा हो गया। तीन युवकों की कार अधूरे पुल से गिर गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना तकनीक पर अंधविश्वास और लापरवाही का नतीजा मानी जा रही है। हालांकि तकनीक पर पूरी तरह निर्भर होना भी खतरनाक हो सकता है। गूगल मैप्स (Google Maps) जैसी सुविधाएं यात्रियों की मदद के लिए बनाई गई हैं, लेकिन इनका उपयोग सतर्कता और विवेक के साथ करना जरूरी है। इस घटना में जिन युवकों की जान गयी वे गुरुग्राम में ड्राइवर के तौर पर काम करते थे और शादी में शामिल होने जा रहे थे। इस हादसे ने उनके परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है।
क्या है पूरा मामला?
रविवार सुबह गुरुग्राम से निकले तीन युवक शादी समारोह में शामिल होने के लिए बरेली के फर्रुखाबाद जा रहे थे। रास्ते में गूगल मैप्स के जरिए नेविगेशन करते हुए वे रामगंगा पुल पर पहुंचे। यह पुल अभी निर्माणाधीन था, लेकिन गूगल मैप्स ने इसे चालू मार्ग के रूप में दिखाया। युवकों की कार पुल पर चढ़ गई और आगे जाकर अधूरे हिस्से से सीधे नीचे गिर गई। हादसे में नितिन कुमार (30), उनके चचेरे भाई अमित कुमार और रिश्तेदार अजीत कुमार की मौत हो गई। नितिन और अमित फर्रुखाबाद के रहने वाले थे, जबकि अजीत मैनपुरी के निवासी थे।
गूगल ने दिया जवाब

मिली जानकारी के मुताबिक, इस मामले पर गूगल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। गूगल के प्रवक्ता ने कहा, “हम मृतकों के परिवार के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हैं। हम संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर जांच में पूरा सहयोग करेंगे।” गूगल ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं और वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हालांकि हादसे के बाद, पुलिस ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के चार अधिकारियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही, पीड़ित परिवार ने गूगल मैप्स के क्षेत्रीय प्रबंधक को भी हादसे के लिए जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है।
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सवालों के घेरे में गूगल और PWD
रामगंगा पुल अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है और वहां चेतावनी संकेत भी लगे हुए थे। बावजूद इसके, गूगल मैप्स ने इसे चालू मार्ग के रूप में दिखाया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पुल पर पर्याप्त सुरक्षा बैरिकेड्स और संकेत नहीं लगाए गए थे, जिससे हादसा हुआ। लेकिन इस घटना ने गूगल मैप्स और लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या गूगल जैसी तकनीकी कंपनियों को अपने नेविगेशन डेटा की सटीकता की जांच नहीं करनी चाहिए? और क्या अधूरे पुल पर सुरक्षा इंतजाम मजबूत नहीं होने चाहिए थे? मानते है प्रशासन और तकनीकी की लापरवाही नजर आ रही है। मगर अगर विवेक से काम लिया जाता तो शायद आज यह हादसा सुर्ख़ियों में न होता। यह हादसा उन सभी के लिए एक सबक है जो तकनीक पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। जागरूकता और सतर्कता ही ऐसी घटनाओं को रोकने का एकमात्र उपाय है।