वसंत पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह दिन विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है, जो ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा की देवी मानी जाती हैं। इस दिन को लेकर हर साल भक्तों में विशेष श्रद्धा और उमंग देखी जाती है, खासकर जब वसंत पंचमी महाकुंभ के अवसर पर आती है। 2025 में वसंत पंचमी महाकुंभ के साथ संगम में स्नान का अत्यधिक महत्व है।
महाकुंभ में वसंत पंचमी का धार्मिक महत्व

वसंत पंचमी को महाकुंभ के साथ मनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। महाकुंभ के दौरान संगम स्थल (प्रयागराज) में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने आते हैं। इस दिन विशेष रूप से अमृत स्नान करने का अवसर होता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से बेहद पुण्यकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, इस दिन देवी सरस्वती की पूजा से ज्ञान में वृद्धि होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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वसंत पंचमी पर स्नान का शुभ मुहूर्त
वसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में वसंत पंचमी 2 फरवरी को पड़ रही है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि महाकुंभ मेला भी इसी समय हो रहा है। संगम में स्नान का सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। अमृत स्नान के लिए विशेष मुहूर्त सूर्योदय के बाद से लेकर लगभग 12 बजे तक रहता है। इस समय के दौरान संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

वसंत पंचमी के दिन पूजा विधि
वसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद, घर में देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा में पीले रंग के फूल, मिठाई, चंदन, और मौली का उपयोग किया जाता है। विशेष रूप से विद्यार्थियों को इस दिन अपनी किताबों और लेखनी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही, किसी प्रकार का संगीत या कला से जुड़ा कार्य भी इस दिन शुरू करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।