India US Trade Talks: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वजह बने हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार और व्यापार मामलों के विशेषज्ञ पीटर नवारो। मंगलवार को भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के छठे दौर से ठीक पहले नवारो ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि “भारत को अब बातचीत की टेबल पर आना ही होगा, अन्यथा हालात उसके लिए ठीक नहीं रहेंगे।” यह बयान उन्होंने रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में दिया।
टैरिफ विवाद बना तनाव की जड़
यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका ने भारत से आयातित कई उत्पादों पर अतिरिक्त 25 से 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इसके चलते अगस्त 2025 में भारत का निर्यात पिछले नौ महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गया था। अगस्त में ही प्रस्तावित वार्ता स्थगित हो गई थी, जो अब मंगलवार को फिर से शुरू हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के वरिष्ठ वार्ताकार ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल सोमवार को नई दिल्ली पहुंच चुका है।
नवारो के तीखे आरोप
पीटर नवारो ने भारत पर कई आरोप लगाए हैं, जिनमें सबसे गंभीर यह है कि भारत रूस से तेल खरीदकर “युद्ध को बढ़ावा” दे रहा है। उन्होंने भारत को “टैरिफ का महाराजा” तक कह दिया और यहां तक दावा किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध अब “मोदी का युद्ध” बन चुका है। उनका कहना था कि भारत अमेरिका के खुले बाजारों का अनुचित लाभ उठा रहा है, लेकिन खुद अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाता है। इससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान हो रहा है।
दोस्ती के बीच तल्खी?
हालांकि, इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “महान प्रधानमंत्री” बताया और भरोसा जताया कि भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत बने रहेंगे। इसके जवाब में पीएम मोदी ने भी ट्रंप की भावना की सराहना करते हुए कहा कि भारत अमेरिका के साथ मजबूत और दोस्ताना संबंध बनाए रखने को प्रतिबद्ध है।विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तल्ख बयानबाज़ी अमेरिका की चुनावी राजनीति और घरेलू व्यापार हितों का हिस्सा हो सकती है, लेकिन इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर असर पड़ना तय है।
वार्ता से क्या उम्मीद?
नई दिल्ली में शुरू हो रही व्यापार वार्ता से उम्मीद है कि दोनों देश टैरिफ विवाद, डेटा लोकलाइजेशन, ई-कॉमर्स रेगुलेशन, और फार्मा उत्पादों पर शुल्क जैसे मुद्दों पर कोई सहमति बना सकते हैं। भारत की कोशिश होगी कि अमेरिका टैरिफ में राहत दे और द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित किया जाए। वहीं अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए ज्यादा खुलापन और पारदर्शिता दिखाए।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध इस समय एक संवेदनशील मोड़ पर हैं। ट्रंप प्रशासन के सलाहकारों के तीखे बयानों और टैरिफ के दबाव के बावजूद, वार्ता से आगे का रास्ता निकलने की उम्मीद बनी हुई है। यदि दोनों पक्ष संयम और समझदारी दिखाएं, तो यह विवाद एक नए व्यापारिक समझौते में तब्दील हो सकता है।
Read More : India vs Pakistan: भारत-पाकिस्तान मैच में ‘हैंडशेक विवाद’, PCB ने अपने ही अधिकारी को किया निलंबित
