RSS Membership: RSS में कौन हो सकता है शामिल? भागवत का चौंकाने वाला जवाब! क्या है शर्त?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ में शामिल होने के नियमों को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला बयान दिया है। उनसे जब पूछा गया कि क्या मुस्लिम या ईसाई भी आरएसएस में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने कहा, 'आ सकते हैं, लेकिन...' आखिर वो कौन सी शर्त है जिसके बाद मुस्लिम और ईसाई भी संघ के सदस्य बन सकते हैं? पूरी खबर में जानें भागवत के इस बयान का पूरा मतलब।

Chandan Das
RSS Membership
RSS में कौन हो सकता है शामिल?

RSS Membership: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (09 नवंबर, 2025) को कहा कि संघ किसी राजनीतिक दल का समर्थक नहीं है। संघ केवल नीतियों और राष्ट्रीय हितों का समर्थन करता है, न कि पार्टियों का। यह बयान उन्होंने RSS के 100 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में दिया।भागवत ने कहा, “हम चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेते। किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते। अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में खड़े होने पर स्वंयसेवक उस पार्टी का समर्थन करते हैं। अगर कांग्रेस राम मंदिर के समर्थन में होती, तो स्वंयसेवक कांग्रेस को वोट देते।”

मुस्लिम और ईसाई भी संघ में शामिल हो सकते हैं

मुस्लिमों के संघ में शामिल होने को लेकर पूछे जाने पर भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ में जाति, धर्म या पंथ के आधार पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा “ना ब्राह्मण को अलग से आने दिया जाता है, ना किसी मुस्लिम या ईसाई को रोका जाता है। जो भी संघ में आता है, वह भारत माता का पुत्र बनकर आता है। हमारी शाखाओं में मुस्लिम और ईसाई भी आते हैं, लेकिन हम धर्म पूछते नहीं।”

RSS का रजिस्ट्रेशन न होने पर सफाई

हाल ही में कांग्रेस नेताओं ने RSS के रजिस्टर्ड न होने पर सवाल उठाए थे। इस पर भागवत ने कहा “1925 में संघ की स्थापना के समय ब्रिटिश सरकार से पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं था। आजादी के बाद भी कानून में यह अनिवार्य नहीं है। संघ ‘बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स’ के रूप में कानूनी मान्यता रखता है। तीन बार संघ पर प्रतिबंध लगाया गया, जिसे अदालतों ने रद्द किया। इससे यह साबित होता है कि संघ न तो गैरकानूनी है, न असंवैधानिक।”

कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार

भागवत के ये बयान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य नेताओं के हालिया आरोपों के बाद आए हैं। खरगे ने कहा था कि RSS पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। भागवत ने कहा कि विरोध बढ़ने से संघ और मजबूत होता है और वह अपने राष्ट्रीय उद्देश्य और संगठनात्मक कार्य में लगातार सक्रिय रहेगा।

तिरंगे को लेकर संघ का दृष्टिकोण

कांग्रेस अक्सर आरोप लगाती है कि RSS तिरंगे को नहीं मानता। भागवत ने इस धारणा को गलत बताया। उन्होंने कहा “संघ ने 1925 में भगवा ध्वज अपनाया था। राष्ट्रीय ध्वज 1933 में तय हुआ। उस समय भगवा रंग की सिफारिश की गई थी, लेकिन गांधीजी के सुझाव पर तीन रंगों वाला तिरंगा अपनाया गया। संघ हमेशा तिरंगे का सम्मान करता रहा है।”

भागवत ने यह भी कहा कि हर राजनीतिक दल का अपना प्रतीकध्वज होता है  कांग्रेस का राष्ट्रीय झंडा, कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा, रिपब्लिकन पार्टी का नीला झंडा और संघ का भगवा ध्वज। बावजूद इसके संघ हमेशा राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मानपूर्ण रहा है। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि संघ किसी राजनीतिक दल का समर्थक नहीं है। संगठन का उद्देश्य राष्ट्रीय नीति और जनहित को आगे बढ़ाना है। उन्होंने मुस्लिम और ईसाईयों की सहभागिता, संगठन के रजिस्टर्ड न होने और तिरंगे के प्रति सम्मान को लेकर उठाए गए सवालों का भी विस्तृत जवाब दिया।

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