Bhikhari Thakur: भोजपुरी के महान लोकगायक, नाटककार और समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. इस बार यह मांग बीजेपी सांसद और भोजपुरी के प्रसिद्ध गायक मनोज तिवारी ‘मृदुल’ ने उठाई है. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की सिफारिश की है.
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भोजपुरी संस्कृति के प्रतीक पुरुष थे भिखारी ठाकुर
अपने पत्र में मनोज तिवारी ने लिखा है कि भिखारी ठाकुर केवल एक गायक, कवि या नाटककार नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधारक भी थे। उन्होंने भोजपुरी भाषा और उसकी संस्कृति को नई पहचान दी। मनोज तिवारी ने कहा कि भिखारी ठाकुर का योगदान ऐसा है जिसे भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से ही उचित मान्यता मिल सकती है।
साधारण परिवार से निकलकर बने असाधारण कलाकार
भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के छपरा जिले के कुतुबपुर गांव में हुआ था। वे एक साधारण नाई परिवार से आते थे और उनकी प्रारंभिक शिक्षा बहुत सीमित थी। बावजूद इसके, उन्होंने रामचरितमानस जैसे महाकाव्य को कंठस्थ कर लिया था। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है।
भोजपुरी लोकनाट्य ‘बिदेसिया’ के जनक
भिखारी ठाकुर लोक कलाकार, गीतकार, नाटककार और संगीतकार के रूप में पूरे देश में मशहूर हुए। उन्होंने भोजपुरी में नाटक, कविता और गीतों की रचना की। उनका सबसे प्रसिद्ध लोकनाट्य ‘बिदेसिया’ आज भी भारत के कई हिस्सों में मंचित होता है। इस शैली में नाटक, संगीत और नृत्य का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है।
बिदेसिया लोकगीत में प्रवासी दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति
बिदेसिया शैली खासकर बिहार के भोजपुरी क्षेत्र जैसे आरा, छपरा और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल जिलों में अत्यंत लोकप्रिय है। इसमें प्रवासी पति से बिछड़ चुकी पत्नी की व्यथा और भावनात्मक संघर्ष को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। यह शैली आज भी आम जनता के बीच गहरी पैठ बनाए हुए है।महान साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने भिखारी ठाकुर को ‘अनगढ़ हीरा’ कहा था, जबकि जगदीशचंद्र माथुर ने उन्हें भरत मुनि की परंपरा का कलाकार बताया। ये प्रमाणित करता है कि भिखारी ठाकुर की कला और विचारधारा ने साहित्यिक जगत को भी प्रभावित किया।
नाई समाज और भोजपुरी क्षेत्र पर बीजेपी की नजर
राजनीतिक जानकार इस मांग को बिहार की आगामी राजनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। बिहार के 38 जिलों में से 10 जिले भोजपुरी भाषी हैं जहां भिखारी ठाकुर का गहरा प्रभाव है। साथ ही वे नाई समाज से आते थे, जो राज्य में अति पिछड़ा वर्ग माना जाता है। ऐसे में यह मांग राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग केवल सांस्कृतिक ही नहीं, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी खास महत्व रखती है।

