UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी उठापटक के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chowdhary) का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यूपी में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाएं पूरी तरह से गलत हैं। भूपेंद्र चौधरी ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी एक लोकतांत्रिक दल है, जिसमें सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। हम अनुशासन के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव के नतीजे हमारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए और हम इसके पीछे की कमियों पर काम कर रहे हैं।
केशव मौर्य की नाराजगी

पिछले कई दिनों से सियासी गलियारों में चर्चा है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) अपनी ही सरकार से नाराज चल रहे हैं। ऐसी खबरें आ रही हैं कि वह सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की एक भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं और बार-बार दिल्ली जाकर भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इस बीच, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार यूपी की योगी सरकार को हटाने की साजिश रच रही है।
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मौर्य का संगठन को सरकार से बड़ा बताने का बयान
इस खबर ने तब तूल पकड़ी, जब भाजपा (BJP) की कार्यसमिति की बैठक के दौरान केशव प्रसाद मौर्य ने यह कह दिया कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि वह कार्यकर्ताओं के दर्द को अपना समझते हैं, क्योंकि कार्यकर्ता ही पार्टी का गौरव होते हैं। यह बयान उन्होंने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से मुलाकात के एक दिन बाद ‘एक्स’ पर भी शेयर किया। इस मामले में राज्य सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, यूपी बीजेपी चीफ भूपेंद्र चौधरी के इस बयान से अब तस्वीर साफ हो गई है।
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प्रयागराज की बैठक में अनुपस्थित डिप्टी सीएम
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज की समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मुरादाबाद मंडल की बैठक से दूर रहे। अब लखनऊ मंडल की समीक्षा बैठक में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक भी शामिल नहीं हो रहे हैं। दोनों डिप्टी सीएम अभी तक किसी भी समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुए हैं।

इन समीक्षा बैठकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विधायकों, मंत्रियों, एमएलसी और दूसरे जनप्रतिनिधियों के मन को टटोला। मुख्यमंत्री के साथ समीक्षा बैठक में जो जनप्रतिनिधि शामिल नहीं हो सके, उन्होंने अलग से मुख्यमंत्री से मुलाकात की। समीक्षा बैठकों में कुछ विधायकों ने अधिकारियों और अफसरों के कामकाज को लेकर शिकायतें कीं, लेकिन ज्यादातर लोगों ने चुप्पी साधे रखी। अधिकांश विधायकों ने अधिकारियों की शिकायतें मुख्यमंत्री के साथ वन टू वन मीटिंग में की है।
मुख्यमंत्री का मोर्चा संभालना
माना जा रहा है कि 10 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। वे ना सिर्फ तैयारियों की जानकारी ले रहे हैं, बल्कि समीक्षा बैठक में विधायकों के मनोभाव और प्रस्तावों पर शीर्ष नेतृत्व से चर्चा कर सकते हैं।
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राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस तरह की उठापटक राज्य की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। सत्तारूढ़ दल के भीतर मतभेद और नाराजगी सरकार की कार्यक्षमता को कम कर सकते हैं। यह समय है जब सभी नेता मिलकर राज्य के विकास के लिए काम करें और आंतरिक मतभेदों को दूर करें। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन इसके साथ-साथ पार्टी की एकजुटता और अनुशासन भी बनाए रखना जरूरी है।
इस प्रकार के राजनीतिक ड्रामे से जनता का विश्वास प्रभावित हो सकता है और सरकार की प्राथमिकताओं पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए, सभी नेताओं को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए राज्य के विकास और जनता की भलाई के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
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