Shinawatra Dismissed: थाईलैंड की संवैधानिक अदालत का बड़ा फैसला, प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को  पद से किया बर्खास्त

Chandan Das
Shinabatra

Shinawatra Dismissed: थाईलैंड से शुक्रवार को एक बड़ा राजनीतिक फैसला सामने आया है। देश की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को उनके पद से हटा दिया है। अदालत का यह निर्णय एक लीक हुई फोन कॉल के बाद आया है, जिसमें पीएम पर नैतिक आचरण और संवैधानिक जिम्मेदारियों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब जून में एक फोन कॉल सार्वजनिक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री शिनावात्रा कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के साथ सीमा विवाद पर चर्चा करते सुने गए। अदालत ने माना कि इस बातचीत में पीएम ने राष्ट्रीय हितों की अनदेखी की और अपने संवैधानिक पद की गरिमा के अनुरूप आचरण नहीं किया।

अदालत की टिप्पणी – “राष्ट्रीय हितों को पहुंचाई गई ठेस”

संवैधानिक अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री का आचरण उनके पद की शपथ के खिलाफ था। अदालत ने टिप्पणी की, “प्रधानमंत्री द्वारा सीमाई मुद्दों पर की गई निजी बातचीत न केवल संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है, बल्कि इससे देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ठेस पहुंची है।” पैतोंगटार्न शिनावात्रा पूर्व प्रधानमंत्री थक्सिन शिनावात्रा की बेटी हैं और थाई राजनीति में उनका परिवार दशकों से सक्रिय रहा है। इस फैसले को शिनावात्रा परिवार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पहले ही थक्सिन शिनावात्रा और उनकी बहन यिंगलक शिनावात्रा भी राजनीतिक संकटों का सामना कर चुके हैं।

राजनीतिक अस्थिरता की आशंका

प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद थाईलैंड में एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है। विपक्ष ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है, जबकि शिनावात्रा समर्थक इसे राजनीति से प्रेरित कदम बता रहे हैं। देश की सरकार को अब अंतरिम नेतृत्व की ओर बढ़ना होगा, और जल्द ही नए प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।

संवैधानिक जिम्मेदारियों को लेकर अदालत सख्त

थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पद चाहे कितना भी ऊंचा हो, संवैधानिक दायित्वों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पीएम पैतोंगटार्न शिनावात्रा की एक कॉल ने उन्हें न सिर्फ कुर्सी से हटाया, बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। अब देश की निगाहें नए नेतृत्व और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में उठते अगले कदमों पर टिकी हैं।

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