Bihar Bandh Update:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां पर की गई अमर्यादित टिप्पणी के विरोध में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने गुरुवार को बिहार बंद का आह्वान किया। बंद की अगुवाई एनडीए की महिला नेत्रियों ने की, जिन्होंने इसे “मातृशक्ति का प्रतिकार” बताया। बंद का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक तय किया गया, जिसमें आपातकालीन सेवाएं और रेल सेवाएं मुक्त रखी गईं।
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राजनीतिक मंच से ‘मां’ के अपमान पर गुस्से में NDA
एनडीए नेताओं ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री की मां पर अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया, वह न सिर्फ राजनीतिक मर्यादाओं का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों का भी अपमान है। महिला नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा,“मां ईश्वर का रूप होती है, ऐसे में कोई भी सभ्य समाज इस प्रकार की टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा।”एनडीए की ओर से महिला मोर्चा की प्रमुख नेता जैसे धर्मशीला गुप्ता (भाजपा), भारती मेहता (जदयू), शोभा सिन्हा (लोजपा-रा), स्मृति कुशवाहा (रालोमो) और स्मिता शर्मा (हम) ने नेतृत्व किया।
बिहार के कई जिलों में बंद का असर
बेगूसराय में NH-31 जाम, नेता और मंत्री सड़कों पर
बेगूसराय में बिहार बंद का व्यापक असर देखा गया, जहां खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता और जदयू विधायक राजकुमार सिंह कार्यकर्ताओं के साथ हर-हर महादेव के नारे लगाते हुए सड़कों पर उतरे और राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को जाम किया।
जमुई और हाजीपुर में सड़क जाम, विरोध प्रदर्शन
जमुई में कचहरी चौक पर सड़क जाम कर विरोध किया गया। कार्यकर्ताओं ने “मोदी जी की मां का अपमान नहीं सहेंगे” जैसे नारों के साथ विरोध दर्ज कराया। हाजीपुर और मुजफ्फरपुर के बीच NH-22 को भी जाम किया गया, जहां एनडीए कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की।
सीतामढ़ी, नवादा और बांका में भी दिखा विरोध का स्वरूप

सीतामढ़ी में एनडीए महिला कार्यकर्ताओं ने कारगिल चौक पर दुकानें बंद कराने की अपील की और सड़क पर प्रदर्शन किया। नवादा में प्रजातंत्र चौक और बांका में भाजपा विधायक रामनारायण मंडल ने नेतृत्व करते हुए बाजार बंद कराया।
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बेतिया में 80% दुकानें बंद, सड़कों पर सन्नाटा
बेतिया में बंद का अधिकतम असर देखा गया, जहां 80 प्रतिशत दुकानें बंद रहीं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। एनएच पर वाहनों की आवाजाही लगभग ठप हो गई थी।
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NDA ने बताया यह ‘बिहार की अस्मिता का सवाल’
एनडीए नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक विरोध नहीं है, बल्कि “बिहार की अस्मिता और पारिवारिक मूल्यों की रक्षा” का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की चुप्पी इस पूरे प्रकरण में दुर्भाग्यपूर्ण है और जनता इसका जवाब जरूर देगी।

