Bihar Congress: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी राजनीति में लगातार उथल-पुथल मची हुई है। इस बीच, पार्टी ने अनुशासनहीनता के मामलों में कठोर कदम उठाते हुए सात नेताओं को निष्कासित कर दिया है। सोमवार को पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने इस फैसले की जानकारी दी और बताया कि यह कार्रवाई पार्टी के मूल सिद्धांतों और अनुशासन के उल्लंघन के कारण की गई है।
Bihar Congress: अनुशासनहीनता और भ्रामक बयानबाजी
कांग्रेस पार्टी के अनुशासन समिति ने इन सात नेताओं को छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। समिति ने कहा कि इन नेताओं ने पार्टी के अनुशासन, संगठनात्मक मर्यादा और कांग्रेस के सिद्धांतों के खिलाफ लगातार भ्रामक बयान दिए थे। साथ ही पार्टी के मंच से बाहर उन्होंने पार्टी के निर्णयों और कार्यक्रमों पर विरोध जताया, जिससे पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान हुआ।
Bihar Congress: कांग्रेस अनुशासन समिति का स्पष्ट निर्णय
कांग्रेस अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिल देव प्रसाद यादव द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया कि इन नेताओं द्वारा पार्टी के निर्देशों और निर्णयों की जानबूझकर अवहेलना की गई थी। इनमें से कई नेताओं ने प्रिंट और सोशल मीडिया में टिकट बेचने और खरीदने के बारे में झूठे और निराधार आरोप लगाए थे, जिसने पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया। समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि इन नेताओं के कार्य पार्टी के पांच अनुशासन उल्लंघन मानकों में से तीन के अंतर्गत आते हैं।
पार्टी की पारदर्शिता पर सवाल उठाने का आरोप
समिति ने यह भी कहा कि जिन मुद्दों को उठाकर इन नेताओं ने दुष्प्रचार किया, वे सभी पार्टी के द्वारा पारदर्शिता के साथ सुलझाए गए थे। उदाहरण के लिए, पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, जनसंपर्क कार्यक्रम और उम्मीदवारों की घोषणा सभी पार्टी के संरचित और पारदर्शी प्रक्रिया का हिस्सा थे। फिर भी इन नेताओं ने पार्टी के फैसलों की अवमानना की और संगठन में भ्रम फैलाने की कोशिश की।समिति ने यह भी उल्लेख किया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडेय की सहमति से विधान सभा पर्यवेक्षक बनाए जाने के बावजूद इन नेताओं ने अपनी अनुशासनहीनता जारी रखी। इसके बाद भी पार्टी के विभिन्न स्तरों और समितियों के फैसलों की अवहेलना की गई, जिससे पार्टी के फैसलों पर सवाल उठाने की कोशिश की गई।
निष्कासन में प्रमुख नेताओं के नाम शामिल
कांग्रेस पार्टी ने जिन सात नेताओं को निष्कासित किया है, उनमें कई प्रमुख चेहरे शामिल हैं। इनमें कांग्रेस सेवादल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार शर्मा, प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार राजन, अति पिछड़ा विभाग के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कंचना कुमारी और नालंदा जिले के नेता रवि गोल्डेन का नाम है। इन नेताओं के खिलाफ पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप लगाए और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में उठा यह तूफान
कांग्रेस पार्टी का यह कदम अंदरूनी राजनीति में उठ रहे तूफान के बीच आया है, जब पार्टी हार के बाद अपनी स्थिति को सुधारने के लिए संघर्ष कर रही है। इस फैसले के बाद विपक्ष ने भी कांग्रेस के आंतरिक मुद्दों को लेकर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और अनियंत्रित बयानबाजी ने पार्टी की छवि को और अधिक नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस पार्टी के लिए यह निर्णय एक संकेत हो सकता है कि वह अपनी आंतरिक अनुशासनहीनता को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। हालांकि, इसके साथ ही यह भी सवाल उठता है कि क्या यह कदम पार्टी की खोई हुई साख को फिर से हासिल कर पाएगा, या फिर आंतरिक संघर्ष और गुटबाजी के चलते पार्टी की स्थिति में कोई सुधार होगा।
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