Bihar Election 2025: प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अपनी पहली बड़ी चुनावी उपस्थिति दर्ज कराई है। भले ही पार्टी कोई सीट जीतने में सफल न हुई हो, लेकिन राज्य की राजनीति पर इसका प्रभाव अभूतपूर्व रहा है। पार्टी ने 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर न सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि बिहार की चुनावी राजनीति में सीधा हस्तक्षेप किया है। शाम 6:30 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, जन सुराज को लगभग 15 लाख वोट मिले हैं, जो राज्य के कुल वोट शेयर का लगभग 3% है। यह वोट शेयर दर्शाता है कि पार्टी ने मतदाताओं के एक बड़े वर्ग, विशेष रूप से युवा और नए वोटरों, के बीच अपनी पैठ बनाई है, जो भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
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प्रमुख सीटों पर जन सुराज ने बिगाड़ा समीकरण

आपको बता दे कि, जन सुराज के उम्मीदवारों को भले ही जीत नहीं मिली, लेकिन उनके वोटों ने कई प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में हार-जीत का गणित बदल दिया। पार्टी ने राजद (RJD) और एनडीए (NDA) दोनों के वोटों में सेंध लगाई, जिससे मुकाबला अप्रत्याशित रूप से पलट गया। वोटों का बिखराव सीधे तौर पर बड़े दलों के समीकरण को बिगाड़ने का कारण बना।
राजद को झेलना पड़ा नुकसान
चेरिया बरियारपुर (Cheria Bariarpur): यहाँ जन सुराज के मजबूत प्रदर्शन ने राजद उम्मीदवार सुशील कुमार को पीछे धकेल दिया। वोटों के बिखराव का सीधा फायदा जेडीयू (JDU) को मिला, जिसने अप्रत्याशित रूप से जीत दर्ज की।
शेरघाटी (Sherghati): इस सीट पर जन सुराज ने राजद प्रत्याशी प्रमोद वर्मा की जीत की संभावनाओं को कमजोर कर दिया। वोटों के बँटवारे के बीच, लोजपा (राम विलास) ने बढ़त बनाकर जीत हासिल की। जन सुराज यहाँ तीसरे शक्ति केंद्र के रूप में उभरी।
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जोकीहाट (Jokihat): जन सुराज के वोटों के कारण एनडीए की प्रमुख पार्टी जदयू के उम्मीदवार मंजर आलम को हार का सामना करना पड़ा। वोटों का विभाजन सीधे तौर पर AIMIM की जीत का कारण बना, जिसने इस सीट पर कब्जा जमाया।
चनपटिया (Chanpatia): यहां जन सुराज के हजारों वोटों ने मुकाबले का संतुलन पूरी तरह से बिगाड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप बीजेपी (BJP) उम्मीदवार उमाकांत सिंह पीछे रह गए, जबकि कांग्रेस इस मुकाबले में आगे चल रही है। जन सुराज के वोट इस हार-जीत में निर्णायक साबित हुए।
32 सीटों पर 10,000 से अधिक वोट: एक बड़ा राजनीतिक संकेत
शाम 6:30 बजे तक के नतीजों के अनुसार, जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों ने 32 निर्वाचन क्षेत्रों में 10,000 से अधिक वोट प्राप्त किए हैं। किसी भी नवोदित क्षेत्रीय दल के लिए यह आँकड़ा तेजी से बढ़ती स्वीकृति का एक बड़ा संकेत है। यह दिखाता है कि जन सुराज जमीनी स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल रही है और पारंपरिक दलों के वोटों में सेंध लगाने की क्षमता रखती है।
किंगमेकर बनने की दिशा में जन सुराज

15 लाख से अधिक वोटों की संख्या और दर्जनों सीटों पर निर्णायक प्रभाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति में एक मजबूत स्थान बनाने की राह पर है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह 3% का वोट शेयर बना रहता है या बढ़ता है, तो जन सुराज भविष्य के चुनावों में एक निर्णायक तीसरी शक्ति (Third Force) या किंगमेकर के रूप में उभर सकती है। इस चुनाव ने पार्टी को बिहार के राजनीतिक पटल पर एक गैर-नजरअंदाज करने योग्य शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया है।
