Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति एक बार फिर से करवट लेने लगी है। 2025 विधानसभा चुनाव से पहले पटना में 30 अगस्त को होने वाली एक बड़ी रैली ने राज्य की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। इस रैली में केंद्रीय मंत्री और जदयू के कद्दावर नेता ललन सिंह और बाहुबली छवि वाले पूर्व विधायक अनंत सिंह साथ नजर आएंगे। यह दोनों नेताओं की पहली सार्वजनिक जुगलबंदी मानी जा रही है, जिसने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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मोकामा के लिए साझा यात्रा

आज सुबह 9 बजे ललन सिंह और अनंत सिंह एक साथ पटना से मोकामा के लिए सड़क मार्ग से रवाना हुए। मोकामा पहुंचकर दोनों नेता जनसंपर्क अभियान में हिस्सा लेंगे। अब तक सियासत में एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले इन नेताओं का एक मंच पर आना कई तरह के राजनीतिक संकेत देता है। यह नजदीकी सिर्फ एक रैली तक सीमित नहीं लग रही, बल्कि जदयू के भीतर की रणनीति या संभावित तनाव की ओर भी इशारा करती है।
अनंत सिंह की वापसी और दावेदारी
हाल ही में पटना हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अनंत सिंह ने राजनीति में दोबारा सक्रियता दिखाई है। 5 अगस्त को जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे मोकामा से अगला विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। अनंत सिंह पहले भी मोकामा से विधायक रह चुके हैं और इस क्षेत्र में उनका दबदबा लंबे समय से बना हुआ है। अब उन्होंने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, जिससे पार्टी के भीतर विरोध के सुर उठने लगे हैं।
जदयू के भीतर असंतोष?
अनंत सिंह की दावेदारी पर जदयू नेता नीरज कुमार ने खुलकर आपत्ति जताई है। इससे यह साफ हो गया है कि पार्टी के भीतर उनके नाम पर सहमति नहीं है। सवाल यह है कि क्या ललन सिंह का उनके साथ मंच साझा करना पार्टी की रणनीति है या फिर यह निर्णय जदयू के अंदर नए मतभेदों को जन्म देगा? पार्टी को अब तय करना होगा कि वह अनंत सिंह जैसे प्रभावशाली लेकिन विवादित छवि वाले नेता को टिकट देने का जोखिम उठाती है या नहीं।
ललन सिंह की भूमिका और संकेत
ललन सिंह उर्फ राजीव रंजन सिंह बिहार की राजनीति में एक अनुभवी और प्रभावशाली चेहरा हैं। वे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं। नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले ललन सिंह कभी उनके खिलाफ भी मुखर हुए थे, लेकिन बाद में दोनों के बीच की दूरी खत्म हो गई।
अब ललन सिंह का अनंत सिंह के साथ सड़क यात्रा करना और रैली में भाग लेना स्पष्ट रूप से चुनावी रणनीति का हिस्सा लगता है। इससे यह संकेत मिलता है कि जदयू मोकामा जैसे क्षेत्रों में फिर से अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
चुनावी समीकरणों पर प्रभाव
मोकामा की राजनीति पर अनंत सिंह की मजबूत पकड़ है और ललन सिंह जैसे वरिष्ठ नेता का उनके साथ आना निश्चित रूप से इलाके में सियासी समीकरणों को प्रभावित करेगा। जनता के बीच यह साझेदारी क्या संदेश देती है, और पार्टी इसे किस रूप में लेती है, यह आने वाले समय में साफ होगा।

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