Bihar Election 2025:आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान कराने की घोषणा कर दी है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर (गुरुवार) को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर (मंगलवार) को होगा। वहीं 14 नवंबर (शुक्रवार) को मतगणना की जाएगी। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने बड़ा राजनीतिक ऐलान करते हुए कहा कि पार्टी बिहार में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।
मायावती ने किया चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत
बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव आयोग की घोषणा का ट्विटर पर स्वागत करते हुए लिखा, “बहुप्रतीक्षित बिहार राज्य विधानसभा आम चुनाव के लिए मतदान की भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की गई घोषणा का स्वागत है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि आयोग निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए धन-बल और बाहुबल पर रोक लगाएगा, साथ ही सरकारी तंत्र और पुलिस के दुरुपयोग को भी रोकेगा।
अकेले चुनाव लड़ेगी BSP
मायावती ने साफ किया कि BSP किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और बिहार की लगभग सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। उन्होंने बताया कि पार्टी के सभी स्तरों पर कार्यकर्ता काफी समय से चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। BSP के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद के नेतृत्व में राज्य में ‘सर्वजन हिताय जागरण यात्रा’ जैसे अभियानों का सफल आयोजन किया गया है, जिससे जनता तक पार्टी की विचारधारा पहुंची है।
बिहार की जनता से मायावती की अपील
अपने ट्वीट में मायावती ने बिहार की जनता से अपील की कि वे डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रदत्त मताधिकार का प्रयोग करते हुए लोकतंत्र के इस पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि बसपा का लक्ष्य राज्य में ‘कानून द्वारा कानून का राज’ स्थापित करना है, जहां हर वर्ग को न्याय मिले। उन्होंने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे ‘हाथी’ चुनाव चिह्न पर मतदान करें और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ के सिद्धांत को मजबूत करें।
BSP की नजर दलित और पिछड़े वोट बैंक पर
BSP का मुख्य फोकस बिहार में दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के वोट बैंक पर है। मायावती के इस फैसले को प्रदेश में तीसरे मोर्चे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है, जिससे पारंपरिक गठबंधनों को चुनौती मिल सकती है। बीएसपी भले ही बिहार में अब तक बड़ी चुनावी सफलता नहीं हासिल कर पाई है, लेकिन मायावती के इस एकतरफा फैसले से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
मायावती के इस घोषणा के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव तय माना जा रहा है। जहां एक ओर बड़े गठबंधन चुनावी रणनीति बना रहे हैं, वहीं बसपा ने अकेले मैदान में उतरकर चुनावी लड़ाई को बहुस्तरीय बना दिया है। अब देखना होगा कि बिहार की जनता मायावती के इस आत्मनिर्भर चुनावी फैसले को किस हद तक समर्थन देती है।
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