Bihar Election 2025: बिहार कांग्रेस एक बार फिर आंतरिक कलह और बगावत की आग में झुलसती नजर आ रही है। आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले टिकट वितरण को लेकर पार्टी में बड़ा सियासी धमाका हुआ है। पटना में कांग्रेस के चार पूर्व विधायक और एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है।
टिकट बंटवारे में धांधली का आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधव की अगुवाई में इन नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी प्रभारी पर टिकट वितरण में धांधली और पैसों के लेनदेन का गंभीर आरोप लगाया है। उनका दावा है कि निष्ठावान और जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर, टिकट ऐसे चेहरों को दिए गए हैं जिनका पार्टी से जुड़ाव केवल मौसमी है। आनंद माधव ने प्रेस वार्ता में कहा “जिस पार्टी ने ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ का नारा दिया, आज उसी पार्टी में ‘टिकट चोर, गद्दी छोड़’ की जरूरत है। पार्टी के असली सिपाही अपमानित महसूस कर रहे हैं।”
कांग्रेस नेतृत्व पर गहराया संकट
बगावत करने वाले नेताओं में कई ऐसे चेहरे शामिल हैं, जो कभी बिहार कांग्रेस की रीढ़ माने जाते थे। इन नेताओं का आरोप है कि पारदर्शिता और लोकतंत्र के नाम पर केवल दिखावा किया गया, जबकि वास्तविकता में पैसे और पैरवी के आधार पर टिकट बांटे गए। इस बगावत से न केवल पार्टी की चुनावी तैयारियों को बड़ा झटका लगा है, बल्कि यह कांग्रेस आलाकमान की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रही है खासकर उस समय जब पार्टी लोकतंत्र और पारदर्शिता के मुद्दों पर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है।
अंदरखाने नाराजगी, बाहर दिखावा?
सूत्रों की मानें तो टिकट बंटवारे को लेकर कई जिलों से असंतोष की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन आज की बगावत ने इस नाराजगी को खुली चुनौती में बदल दिया है। यह स्थिति आने वाले दिनों में और गंभीर रूप ले सकती है अगर आलाकमान ने समय रहते संतुलन नहीं साधा।
भाजपा और जदयू को मिला राजनीतिक मौका
बिहार कांग्रेस में जारी अंदरूनी कलह का राजनीतिक फायदा भाजपा और जदयू जैसे विरोधी दलों को मिल सकता है। चुनावी मोड में पहुंच चुकी राजनीति में यह घटनाक्रम कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है, खासकर उन सीटों पर जहां पार्टी पहले से कमजोर स्थिति में है।
बिहार कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर शुरू हुआ विवाद अब खुले बगावती स्वर में बदल चुका है। ‘टिकट चोर, गद्दी छोड़’ जैसे नारों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी के भीतर गहरी असहमति और अविश्वास की स्थिति है। अगर कांग्रेस आलाकमान ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह बगावत चुनाव से पहले ही संगठन की नींव हिला सकती है।
