Bihar Election: बिहार की चुनावी राजनीति में मतदान प्रतिशत का सीधा संबंध राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की सत्ता में वापसी से जुड़ा रहा है। 1990 से 2020 तक के विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि जब-जब राज्य में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है, तब-तब लालू प्रसाद यादव या राबड़ी देवी के नेतृत्व में आरजेडी की सरकार बनी है। इस बार 68.79 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जिसे तेजस्वी यादव के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।
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1990 का चुनाव और लालू यादव का उदय

आपको बता दे कि, लालू प्रसाद यादव पहली बार 1990 में मुख्यमंत्री बने थे, जब मतदान प्रतिशत 62.04 रहा था। यह चुनाव कांग्रेस के पतन और जनता दल (बाद में आरजेडी) के उदय का प्रतीक बना। उच्च मतदान ने सत्ता परिवर्तन की नींव रखी और लालू यादव को बिहार की राजनीति का केंद्र बना दिया।
1995 और 2000 में फिर दोहराया गया इतिहास
बताते चले कि, 1995 के विधानसभा चुनाव में 61.8 प्रतिशत मतदान हुआ और लालू यादव सत्ता बचाने में सफल रहे। इसके बाद वर्ष 2000 में बिहार विभाजन की दहलीज पर था, लेकिन 62.5 प्रतिशत मतदान ने राबड़ी देवी के नेतृत्व में आरजेडी गठबंधन को तीसरी बार सत्ता दिलाई। इन दोनों चुनावों ने साबित किया कि 60 प्रतिशत से अधिक वोटिंग आरजेडी के लिए सत्ता का दरवाजा खोलती है।
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2005 में बदला समीकरण
फरवरी 2005 के चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। इसके बाद अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव में मतदान प्रतिशत घटकर 45.85 रह गया। इस कम मतदान ने लालू-राबड़ी की सत्ता को खत्म कर दिया और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन सत्ता में आया। यही चुनाव बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लेकर आया।
2010 और 2015 में मतदान प्रतिशत का असर

2010 में मतदान प्रतिशत 52.1 रहा, जबकि 2015 में यह बढ़कर 55.9 प्रतिशत तक पहुंचा। लेकिन दोनों ही चुनावों में 60 प्रतिशत का जादुई आंकड़ा पार नहीं हो पाया। नतीजतन, आरजेडी विपक्ष में रही या गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद मुख्यमंत्री का पद हासिल नहीं कर सकी।
बिहार चुनाव 2025 में 68.79 प्रतिशत मतदान
इस बार बिहार में 68.79 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो पिछले तीन दशकों के ट्रेंड को देखते हुए आरजेडी के लिए सकारात्मक संकेत है। एग्जिट पोल में हार दिखाए जाने के बावजूद उच्च मतदान प्रतिशत तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।
60 प्रतिशत से कम मतदान और नीतीश कुमार का दौर
- 2005 में 45.85% मतदान के साथ नीतीश कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने और एनडीए की सरकार बनी।
- 2010 में 52.01% मतदान हुआ और एनडीए ने दोबारा सत्ता संभाली।
- 2015 में 55.09% मतदान के साथ नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री बने।
- 2020 में 57.29% मतदान हुआ और नीतीश कुमार चौथी बार एनडीए सरकार के साथ मुख्यमंत्री बने।
तेजस्वी यादव और उच्च मतदान का संयोग

2020 के चुनाव में 57.29% मतदान हुआ था। उस समय आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई। बिहार के चुनावी इतिहास से यह साफ होता है कि उच्च मतदान प्रतिशत अक्सर सत्ता विरोधी लहर और बदलाव का संकेत देता है। इस बार रिकॉर्ड 68.79% वोट पड़े हैं, जिसे आरजेडी और तेजस्वी यादव के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। यह पैटर्न बताता है कि 60% से अधिक मतदान आरजेडी के पक्ष में जाता रहा है और इस बार भी सत्ता में लालू परिवार की वापसी संभव दिख रही है।
1990 से 2025 तक बिहार की सरकारें
- 1990 में जनता दल की सरकार बनी और लालू यादव मुख्यमंत्री बने। उस चुनाव में 60% से अधिक मतदान हुआ था।
- 1995 में फिर जनता दल की सरकार बनी और लालू यादव दोबारा मुख्यमंत्री बने। मतदान प्रतिशत 60% से ऊपर रहा।
- 2000 में आरजेडी की सरकार बनी और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं। इस बार भी मतदान 60% से अधिक रहा।
- फरवरी 2005 में चुनाव परिणाम त्रिशंकु रहे और राष्ट्रपति शासन लगाया गया। उस समय मतदान 46.50% रहा।
- नवंबर 2005 में एनडीए की सरकार बनी और नीतीश कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने। मतदान प्रतिशत 45.85% था।
- 2010 में एनडीए को बहुमत मिला और नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। मतदान प्रतिशत 52.66% रहा।
- 2015 में महागठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। मतदान प्रतिशत 56.66% था।
- 2020 में एनडीए सरकार बनी और नीतीश कुमार चौथी बार मुख्यमंत्री बने। मतदान प्रतिशत 57.34% रहा।
