Bihar Election 2025: बिहार में बहुत जल्द ही विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने वाला है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कसर कस ली है. चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति के जरिए लोगों को लुभाने में लगे हुए है. पीएम मोदी ने आज मेट्रो का उद्घाटन किया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी 7 पैसेंजर ट्रेनों का उद्घाटन किया. विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सीटों के समीकरण और राजनीतिक दलों की भूमिका पर सभी नजरें टिकी है.
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2020 विधानसभा चुनाव में कितनी पार्टियां शामिल थी?
आपको बता दे कि, पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में बिहार में कुल 212 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 6 राष्ट्रीय और 4 राज्य स्तरीय दल शामिल थे. इसके अलावा 1299 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे. हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवारों में से सिर्फ एक ही सीट जीत पाया था. चुनाव में कुल उम्मीदवारों की संख्या 3733 थी, जिनमें से 3205 की जमानत जब्त हो गई थी.
2020 के चुनाव परिणाम और मुख्य दलों का प्रदर्शन
2020 में आरजेडी ने 97,38,855 वोट हासिल किए, जबकि बीजेपी को 82,02,067 वोट मिले। जेडीयू को 64,85,179 वोट मिले. महागठबंधन को मात्र 12,000 वोट मिलने के बाद NDA की सरकार बनी। चुनाव में मुख्य मुकाबला आरजेडी और बीजेपी के बीच था.
2020 के चुनाव में मुख्य राजनीतिक दल कौन-कौन थे?
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया शामिल थी. क्षेत्रीय दलों में जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख थे. इसके अलावा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) और प्लूरल्स पार्टी ने भी हिस्सा लिया.
2025 विधानसभा चुनाव में नए दल और बड़े दावेदार
इस बार चुनाव में कई नई पार्टियां भी मैदान में हैं. प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी, तेजप्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की नई पार्टी, आईपी गुप्ता की इंडियन इंकलाब पार्टी, और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी बिहार के चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह बदलने की तैयारी में हैं.
मतदाता विकल्प बढ़े, चुनावी रणनीतियां बदलेंगी
पार्टी संख्या में वृद्धि का असर सिर्फ सत्ता समीकरणों पर नहीं, बल्कि मतदाताओं के विकल्प और चुनावी रणनीतियों पर भी दिखेगा. ऐसे में 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव राजनीतिक दलों के लिए एक चुनौतीपूर्ण और रोमांचक मुकाबला साबित होगा.
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