Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने राजद नेता तेजस्वी यादव के उस दावे को जमकर आड़े हाथों लिया, जिसमें उन्होंने हर घर को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। पीके ने कहा कि या तो तेजस्वी यादव खुद मूर्ख हैं, या फिर बिहार की जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
RJD के ट्रैक रिकॉर्ड पर उठाए सवाल
बताते चले कि, प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर सीधा हमला बोलते हुए पूरी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा, “जो पार्टी पिछले 18 सालों में बिहार के युवाओं को सिर्फ 4 से 5 लाख सरकारी नौकरियां दे सकी, वह अब दो साल में तीन करोड़ नौकरियां देने की बात कर रही है! ये नौकरियां आएंगी कहां से? जमीन पर ऐसी कोई योजना है ही नहीं।”
तेजस्वी यादव का वादा
आरको बताते चले कि, तेजस्वी यादव ने 9 अक्टूबर को एक चुनावी वादे में कहा था कि यदि महागठबंधन की सरकार बनती है, तो वे 20 दिनों के भीतर ऐसा कानून पारित करेंगे, जो हर घर को सरकारी नौकरी सुनिश्चित करेगा। इस वादे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी और अब प्रशांत किशोर ने इसे पूरी तरह अव्यवहारिक करार दे दिया है।
“जब पीएम नहीं कर सके तो तेजस्वी कैसे करेंगे?”
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने वादे का जिक्र करते हुए कहा, “जब देश के प्रधानमंत्री 2 करोड़ नौकरियां नहीं दे पाए, तो लालू के लाल, जो 15 साल जंगलराज के वारिस हैं, वे कैसे देंगे? यह सिर्फ और सिर्फ लोगों को गुमराह करने की कोशिश है।”
सरकारी नौकरियों के आंकड़ों से किया खुलासा
प्रशांत किशोर ने बिहार में उपलब्ध सरकारी नौकरियों के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि राज्य में कुल सरकारी नौकरियों की संख्या मात्र 26.5 लाख है। ऐसे में करोड़ों नौकरियों का वादा करना सिर्फ एक चुनावी जुमला है। उन्होंने कहा, “जनता अब समझदार हो चुकी है। वह न नीतीश कुमार के 10 हजार नौकरी वाले दावे में फंसेगी और न ही RJD के झूठे वादों में।”
चुनाव की तारीखें नजदीक, बयानबाजी तेज
बिहार में दो चरणों में मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद से सभी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। जन सुराज, RJD और NDA के बीच बयानबाजी चरम पर है, और सभी नेता एक-दूसरे के दावों को खारिज करने में लगे हैं।
प्रशांत किशोर के इस तीखे बयान से साफ है कि बिहार की राजनीति अब वादों और उनके आधार पर किए जाने वाले हमलों पर केंद्रित हो गई है। सवाल यही है कि जनता किसे सच मानेगी—वादों के सपने दिखाने वालों को या आंकड़ों के जरिए सवाल उठाने वालों को?
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