Bihar Election Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। 243 सीटों वाली विधानसभा में लगभग सभी रुझानों और परिणामों के सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया कि मुकेश सहनी की पार्टी इस बार अपनी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। चुनाव प्रचार के दौरान खुद को महागठबंधन का डिप्टी सीएम उम्मीदवार बताने वाले सहनी की पार्टी इस बार एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई।
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मुकेश सहनी का सपना रह गया अधूरा
पार्टी कई सीटों पर चुनाव मैदान में थी, लेकिन किसी भी जगह निर्णायक बढ़त या जीत दर्ज नहीं हो सकी। मुकेश सहनी का सपना—महागठबंधन की सरकार बनने और खुद को डिप्टी सीएम बनने का—इस बार बुरी तरह टूटता हुआ दिखाई दे रहा है। अज्ञात शायर का शेर ‘न खुदा मिला न विसाले सनम’ जैसे हालात अब वीआईपी प्रमुख पर पूरी तरह से लागू होते नजर आ रहे हैं।
2020 में VIP की थी शानदार शुरुआत
वीआईपी की स्थापना 2018 में हुई थी। इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनावों में मुकेश सहनी की पार्टी ने 4 सीटें जीतकर एनडीए गठबंधन में अहम भूमिका निभाई। उस समय उन्हें सरकार में मछलीपालन मंत्री का पद भी मिला था। यह पहली बड़ी जीत थी जिसने वीआईपी को बिहार की राजनीति में प्रमुख भूमिका दिलाई।
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NDA से महागठबंधन तक का सफर
2022 में एनडीए में विधायकों की हेरफेर के बाद बिहार की 2020 में बनी सरकार गिर गई और मुकेश सहनी को अपने मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद वे महागठबंधन की ओर झुकने लगे और 2025 के चुनाव में महागठबंधन के मुख्य सहयोगी के रूप में शामिल हुए।
2020 में जीती गई चार सीटें
2020 में वीआईपी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी—बोचाहा, गौरा बौराम, अलिनगर और साहेबगंज। हालांकि, साहेबगंज से वीआईपी के विधायक राजेश कुमार सिंह बाद में बीजेपी में चले गए। इन चार सीटों पर जीत ने उस समय वीआईपी की राजनीतिक ताकत को दर्शाया था।
2025 में वीआईपी का प्रदर्शन निराशाजनक
हालांकि 2025 में मुकेश सहनी महागठबंधन के सहयोगी थे, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन उम्मीदों से कहीं कम रहा। न तो किसी सीट पर निर्णायक बढ़त मिली और न ही कोई जीत दर्ज हो सकी। रुझानों और परिणामों में वीआईपी की मौजूदगी लगभग नजरअंदाज सी रही। मुकेश सहनी और उनकी विकासशील इंसान पार्टी के लिए 2025 का चुनाव बहुत ही खस्ता साबित हुआ है। 2020 की चार सीटों की उपलब्धि इस बार केवल याद बनकर रह गई। महागठबंधन में उनकी भूमिका भी अब सवालों के घेरे में है, और आगामी राजनीतिक रणनीति पर पार्टी को गहन विचार करने की जरूरत है।
