Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए (National Democratic Alliance) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को साफ शब्दों में कहा कि “इस बार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है।” यह बयान ऐसे समय पर आया है जब सीट बंटवारे को लेकर भाजपा गठबंधन के भीतर कथित रूप से सहमति बनी होने का दावा किया गया था।
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दिल्ली रवाना हुए कुशवाहा
बताते चले कि, सीट बंटवारे से असंतुष्ट उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए, जहां वे भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे। पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “सब ठीक हो जाएगा। इसी उम्मीद और विश्वास के साथ हम दिल्ली जा रहे हैं।” सूत्रों की मानें तो कुशवाहा अपनी पार्टी को मिली सिर्फ 6 सीटों से खुश नहीं हैं, साथ ही उन्हें महुआ सीट को लोजपा (रामविलास) को दिए जाने पर भी कड़ी आपत्ति है।
पटना में भी नहीं बनी बात, BJP नेताओं की कोशिश नाकाम
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को मनाने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को पटना में लंबी बैठक की। इसमें केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय समेत अन्य नेता शामिल हुए। बैठक देर रात तक चली, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। बैठक के बाद कुशवाहा ने मीडिया से कहा, “इस बार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है…” यह बयान सीट बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचतान की पुष्टि करता है।
भाजपा का दावा और सहयोगियों की नाराजगी
एनडीए नेताओं ने दावा किया था कि सीट बंटवारे को लेकर सभी घटक दलों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौता हो चुका है और बातचीत अंतिम चरण में है। लेकिन इस बयान के तुरंत बाद छोटे सहयोगी दलों – खासकर RLM और हम (हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा) ने नाराजगी जाहिर कर दी। इससे गठबंधन में एकजुटता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। एनडीए के बीच जो सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार हुआ है, उसके तहत भाजपा और जदयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें, जबकि हम और RLM को 6-6 सीटें दी जाएंगी। इस प्रस्ताव पर न सिर्फ कुशवाहा बल्कि जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने भी अपनी असहमति जताई है।
कुशवाहा ने कार्यकर्ताओं से मांगी माफी
फॉर्मूले की घोषणा के बाद उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा कर अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से माफ़ी मांगी थी। इस पोस्ट से यह संकेत मिला कि वे खुद भी तय सीटों से संतुष्ट नहीं हैं, और पार्टी कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा न कर पाने पर खुद को दोषी मानते हैं।
एनडीए में सीटों को लेकर बनती सहमति अब चुनौती में बदलती दिख रही है। छोटे दलों की नाराजगी अगर समय रहते दूर नहीं हुई, तो इसका असर 2025 के चुनाव परिणामों पर भी पड़ सकता है। कुशवाहा की दिल्ली यात्रा अब इस राजनीतिक उलझन को सुलझाने की एक अहम कड़ी बन गई है।
