Bihar Election: बिहार चुनाव इन दिनों चर्चा में बना हुआ है, दरअसल, चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है जिसके चलते सीटों को लेकर महागठबंधन और एनडीए दोनो में खिचड़ी पकती हुई दिख रहा है। एक ओर जहां महागठबंधन लगातार बैठक पर जोर दे रही है तो वहीं दूसरी तरफ एनडीए के कई नेताओं का ये कहना हा कि सीटों के बटवारे में कोई समस्या नहीं आएगी। लोकसभा के जैसे विधानसभा में भी हम लोग मिलकर बैठकर तय कर लेंगे.
हालांकि, क्या यह वाकई इतना सरल है? यह सोचने वाली बात है। बात ये है कि गठबंधन में शामिल हर पार्टी अधिक से अधिक सीटें पाना चाहती है, लेकिन बीजेपी और जेडीयू जिस फॉर्मूले को तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं, क्या उस पर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी अपनी सहमति देंगे? यही अब एक अहम और बड़ा सवाल बन गया है।
NDA का सीट शेयरिंग फॉर्मूला जानिए?
बिहार चुनाव में सीटों की शेयरिंग को लेकर अभी तक एनडीए में कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो, जो फॉर्मूला तय होना है, उसमें 243 सीटों में 102 सीट बीजेपी, 102 सीट जेडीयू, 28 सीट चिराग पासवान की पार्टी, जीतन राम मांझी की पार्टी को 7 सीट और उपेंद्र कुशवाहा को 4 सीट मिलने की संभावना है। ये बात भी कही जै रही है कि अगर चिराग पासवान नहीं माने तो जेडीयू और बीजेपी की एक-एक सीट में कमी आने की संभावना है साथ ही चिराग को 30 सीट दी जा सकती हैं.
इतने दिनों की रिमांड रख सकते है चिराग पासवान…
अब यह सवाल जोर पकड़ने लगा है कि क्या चिराग पासवान 30 सीटों पर समझौता कर लेंगे?
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने आंतरिक रूप से तय कर लिया है कि जब एनडीए की बैठक होगी, तो वहां वह 70 सीटों की मांग रखेगी और संभावित उम्मीदवारों की सूची भी सौंपेगी।
35 से कम सीट में नहीं मानेगी LJP-R
नेता ने स्पष्ट किया कि एलजेपी हर स्थिति में कम से कम 40 सीटों की मांग पर जोर देगी। अगर 40 सीटों पर सहमति नहीं बनती, तो पार्टी कम से कम 35 सीटों पर डटी रहेगी। अंदरूनी स्तर पर यह तय किया गया है कि 35 से कम सीटें किसी भी हाल में स्वीकार नहीं की जाएंगी। उनका कहना था—”35 सीट से नीचे हम लोग किसी भी कीमत पर नहीं मान सकते, इसके लिए जो भी करना पड़े, किया जाएगा।”
BJP-JDU को इतने सीटों से होना होगा सहमत?
अगर चिराग पासवान की सीटों को लेकर की जा रही मांग कायम रहती है, तो यह लगभग तय है कि एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान बढ़ सकती है। ऐसे में बीजेपी और जेडीयू को 100 से कम सीटों पर समझौता करना पड़ सकता है, ताकि गठबंधन के अन्य दलों को भी संतुष्ट किया जा सके और एनडीए की मजबूती बनी रहे। मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी 15 से 20 सीटों की मांग कर रही है, लेकिन यदि चिराग को 35 सीटें दी जाती हैं, तो फार्मूले के तहत मांझी को 7 सीटें दी जा सकती हैं। उल्लेखनीय है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू ने मांझी को 7 सीटें दी थीं, जिनमें से उनकी पार्टी ने 4 पर जीत दर्ज की थी।
जानें वर्तमान राजनीतिक?
अगर वर्तमान राजनीतिक गणित को देखा जाए, तो चिराग पासवान को 35, जीतन राम मांझी को 7 और उपेंद्र कुशवाहा को 4 सीटें दी जाती हैं, तो छोटे दलों को कुल 46 सीटें मिलती हैं। ऐसे में शेष 197 सीटों का बंटवारा बीजेपी और जेडीयू के बीच किया जा सकता है, जो लगभग 98-99 सीटों के फॉर्मूले पर पहुंचता है। यह पूरा आंकलन विश्वसनीय सूत्रों के आधार पर किया गया है। अभी तक किसी भी दल ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।