Bihar Election: भारतीय जनता पार्टी ने 14 अक्टूबर, मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 71 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है। पार्टी ने इस बार भी अपने कई पुराने विधायकों और मंत्रियों पर भरोसा जताया है। इन नामों में कुछ बड़े नेताओं को फिर से मौका दिया गया है, वहीं कुछ वरिष्ठ चेहरों के टिकट काटे भी गए हैं।
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अरुण सिन्हा और नंदकिशोर यादव की छुट्टी
बताते चले कि, बीजेपी की पहली सूची में सबसे बड़ा बदलाव कुम्हरार से विधायक अरुण सिन्हा और पटना साहिब से नंदकिशोर यादव के टिकट काटे जाने के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, 70 वर्ष से अधिक आयु के प्रेम कुमार को गया से टिकट दिया गया है। यह एक बड़ा संकेत है कि पार्टी अब आयु सीमा को लचीलापन देने के लिए तैयार है, बशर्ते प्रदर्शन और लोकप्रियता बरकरार हो।
लोकसभा में हारे, विधानसभा में मिला मौका
आपकको बताते चले कि, लोकसभा चुनावों में हार का सामना करने वाले दो नेताओं को इस बार विधानसभा चुनाव में उतारा गया है। बक्सर से लोकसभा प्रत्याशी रहे मिथिलेश तिवारी को बैकुठपुर से और पाटलिपुत्र से लोकसभा उम्मीदवार रहे रामकृपाल यादव को दानापुर से उम्मीदवार बनाया गया है। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी इन नेताओं की राजनीतिक क्षमता में अब भी विश्वास रखती है।
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वरिष्ठ नेताओं को भी मिला मौका
पार्टी ने अपने कुछ महत्वपूर्ण और वरिष्ठ नेताओं को भी विधानसभा चुनाव में उतारा है। MLC रहे सम्राट चौधरी को तारापुर, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को सिवान, संजीव चौरसिया को दीघा और रजनीश कुमार को तेघड़ा से टिकट दिया गया है। यह निर्णय संगठन और सत्ता दोनों में संतुलन बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
महिला और पिछड़े वर्गों को मिली अहम भागीदारी
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पहली सूची में सामाजिक संतुलन बनाने की पूरी कोशिश की है। पार्टी ने दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, महिला और अनुसूचित जनजाति वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया है। 71 उम्मीदवारों की इस सूची में 17 ओबीसी, 11 अतिपिछड़ा, 9 महिलाएं, 5 अनुसूचित जाति और 1 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार शामिल हैं। कुल मिलाकर 50% से अधिक उम्मीदवार समाज के वंचित और विविध वर्गों से आते हैं।
बीजेपी की यह पहली सूची न केवल चुनावी रणनीति को दर्शाती है, बल्कि यह भी साफ करती है कि पार्टी सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की नीति पर आगे बढ़ रही है। वरिष्ठ और युवा नेताओं का मिश्रण, सामाजिक संतुलन और संगठन के चेहरों को प्राथमिकता देने से पार्टी ने एक मजबूत संदेश देने की कोशिश की है कि वह बिहार में सत्ता बनाए रखने के लिए पूरी तरह तैयार है।
