Bihar Election Result: हार की समीक्षा में जुटी Congress,शीर्ष नेतृत्व का Rahul Gandhi की क्षमता पर सवाल?

बिहार में कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन! राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर बड़े सवाल, आखिर क्यों फ्लॉप हुई 'वोट चोरी' की रणनीति? क्या उनकी 16 रैलियों का कोई असर नहीं हुआ? जानिए, हाईकमान की सुस्ती, गठबंधन में दरार और पार्टी के भीतर चल रही ‘खामोश बगावत’ की पूरी कहानी...

Chandan Das
Bihar Election Result
Bihar Election Result Rahul Gandhi

Bihar Election Result:  नई बहस का केंद्र यह है कि क्या राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद इस प्रश्न ने और भी तेज़ी पकड़ ली है, क्योंकि विपक्ष के भीतर ही अब यह समीक्षा जारी है कि भाजपा के ख़िलाफ़ मोर्चा संभालने में कौन कितना सक्षम है।

Bihar Election Result: कांग्रेस की गिरती भूमिका और पुराना पैमाना

नई सहस्राब्दी के शुरुआती वर्षों में एक लोकप्रिय रियलिटी शो में प्रतियोगी हर दौर में “सबसे कमज़ोर कड़ी” की पहचान करते थे। बिहार चुनाव की समीक्षा को देखें तो ऐसा लगता है कि यह कसौटी अब राजनीतिक परिदृश्य पर सटीक बैठती है। महागठबंधन के भीतर कौन सबसे कमज़ोर है, इस पर अब किसी बहस की ज़रूरत नहीं रह गई कई विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस लगातार उस भूमिका में दिखाई दे रही है।

Bihar Election Result: विपक्षी दलों और विशेषज्ञों की समान राय

विपक्षी खेमे से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक, लगभग सभी यह कह रहे हैं कि कांग्रेस अब महागठबंधन पर बोझ बन चुकी है। कई दलों के भीतर यह चर्चा तेज़ है कि भाजपा के ख़िलाफ़ संघर्ष में जो नेता और दल वास्तविक परिणाम दे रहे हैं, उन्हें नेतृत्व में आगे लाया जाना चाहिए। इसी कड़ी में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने कहा कि कांग्रेस बार-बार असफल होती दिखी है और अब विकल्प तलाशने का समय है।

राहुल गांधी की भूमिका पर निशाने

कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पार्टी में ‘कमान’ समझे जाने वाले राहुल गांधी भी आलोचकों के निशाने पर हैं। चुनावों से पहले राहुल गांधी तेजस्वी यादव के साथ मतदाता अधिकार मार्च में शामिल हुए थे, लेकिन जिस रूट से वे गुज़रे, वहाँ कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग पर राहुल के आरोप भी बिहार के मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर सके।AIMIM ने भी कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन्हें गठबंधन में शामिल होने नहीं दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि अल्पसंख्यक वोट बंट गए और भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिला। पार्टी ने यहां तक कहा कि कांग्रेस भाजपा-विरोधी वोटों को नुकसान पहुँचाती है और कई सीटों पर विपक्ष की हार का कारण बन जाती है।

कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का समय

कई विपक्षी दल पहले भी कांग्रेस से आग्रह कर चुके हैं कि उसे अपना अहंकार छोड़कर ज़मीनी हकीकत समझनी चाहिए। जहाँ कांग्रेस मज़बूत है, वहाँ उसे प्रमुख भूमिका दी जा सकती है, लेकिन जहाँ उसका जनाधार कमजोर है, वहाँ क्षेत्रीय दलों को नेतृत्व सौंपना ही बेहतर होगा। बार-बार के चुनावी संदेश यही संकेत देते हैं कि कांग्रेस को अब बड़े फैसले लेने होंगे।कई विश्लेषकों और विपक्षी दलों का मानना है कि ममता बनर्जी भाजपा के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर सबसे मज़बूत चुनौती पेश करने की क्षमता रखती हैं। वहीं, राहुल गांधी की तुलना एम.के. स्टालिन और हेमंत सोरेन जैसे नेताओं से की जाए तो भी वे कम प्रभावशाली साबित होते दिखते हैं। बदलते राजनीतिक माहौल में विपक्ष अब नए नेतृत्व विकल्पों पर गंभीरता से विचार करता दिख रहा है।

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