Bihar Election Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना में NDA जीतती हुई नजर आ रही है। एक ओर जहां एनडीए 205 सीटों पर आगे चल रही है, तो वहीं महागठबंधन मात्र 30 सीटों पर ही आगे बढ़ रही है। इसी बीच सीवान जिले की रघुनाथपुर सीट खास चर्चा में है, जहां आरजेडी प्रत्याशी ओसामा शहाब ने अपनी शांत रणनीति और जमीनी पकड़ के दम पर मुकाबले में स्पष्ट बढ़त बना ली है।
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ओसामा की मजबूत बढ़त
आपको बता दें कि, कुल 25 राउंड की गिनती में अब तक 17 राउंड पूरे हो चुके हैं। इसमें ओसामा शहाब को 70,229 वोट मिल चुके हैं, जबकि जेडीयू उम्मीदवार विकास कुमार सिंह अब तक 54,085 वोट प्राप्त कर पाए हैं। दोनों के बीच लगभग 16,144 वोटों का अंतर बन गया है, जो परिणाम को लगभग तय करता दिख रहा है। स्थानीय राजनीतिक माहौल और लगातार बढ़ते अंतर को देखते हुए माना जा रहा है कि यह मार्जिन और भी बढ़ सकता है।
पूरे चुनाव में ‘मौन रणनीति’

ओसामा शहाब को आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने स्वयं हाथों से चुनाव चिन्ह सौंपा था। इस घटना के बाद बीजेपी, जेडीयू और एनडीए नेताओं ने ओसामा को लगातार निशाने पर रखा और उन्हें कथित ‘जंगलराज’ की विरासत बताने की कोशिश की। इन आरोपों और मीडिया के हमलों को देखते हुए ओसामा के चुनाव प्रबंधन ने एक महत्वपूर्ण रणनीति तैयार की—पूरे चुनाव में ओसामा मीडिया से दूरी बनाए रखेंगे।
नतीजन, न उन्होंने इंटरव्यू दिए, न ही किसी पत्रकार को एक लाइन की बाइट दी। यह रणनीति इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि ओसामा की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विवाद उठ खड़े हुए थे। उनके समर्थक लंबे समय से दावा कर रहे थे कि ओसामा ने लंदन से लॉ की पढ़ाई की है, जबकि उनके चुनावी हलफनामे में मात्र दसवीं तक की शिक्षा का उल्लेख है। यह विरोधाभास विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बन सकता था, इसलिए ओसामा को साफ निर्देश दिए गए कि वह कैमरे से दूरी बनाए रखें ताकि कोई बयान उनके खिलाफ न जाए। यह खामोशी—जो विपक्ष ने कमजोरी समझी—चुनावी हथियार साबित हुई।
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‘साहेब’ परिवार की साख की वापसी
सीवान की राजनीति में शहाबुद्दीन परिवार का गहरा प्रभाव रहा है। ओसामा के पिता, मोहम्मद शहाबुद्दीन को लोग ‘साहेब’ के नाम से जानते रहे हैं और उन्होंने 1992 से 2004 के बीच चार बार लोकसभा जीतकर अपने प्रभाव को स्थापित किया था। उनकी पत्नी हिना शहाब भी 2009 से 2024 के बीच चार बार लोकसभा चुनाव लड़ीं, हालांकि उन्हें जीत हासिल नहीं हो सकी। लगातार मिल रही पराजयों से परिवार की राजनीतिक साख प्रभावित हो रही थी। इस बार ओसामा पर इस हार के सिलसिले को खत्म करने की जिम्मेदारी थी—और वो इसमें सफल होते दिख रहे हैं।
