Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने एक बड़ा राजनीतिक ऐलान किया है। रविवार को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय बैठक के दौरान मायावती ने साफ कर दिया कि अब बसपा देश के हर राज्य में किसी भी पार्टी से गठबंधन किए बिना अकेले चुनाव लड़ेगी। इस फैसले को बसपा के मिशन 2024 और 2025 के लिए एक मजबूत शुरुआत माना जा रहा है।
बसपा की राष्ट्रीय बैठक में लिया गया अहम फैसला
लखनऊ में हुई इस बैठक में हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, केरल समेत कई राज्यों के बसपा नेता मौजूद थे। मायावती ने नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की जिम्मेदारी अब सभी कार्यकर्ताओं की है। उन्होंने कहा “हर राज्य में बूथ और सेक्टर लेवल तक संगठन को मजबूत किया जाए। जनता को बहुजन समाज पार्टी से जोड़ा जाए और कॉडर वोट को और मजबूत किया जाए।”
“ईवीएम हटाओ, देश बचाओ” का नारा
बैठक के दौरान मायावती ने एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठाए और कहा “ईवीएम हटाओ, देश बचाओ”उनका मानना है कि जब तक ईवीएम से चुनाव होते रहेंगे, तब तक निष्पक्षता संदेह के घेरे में रहेगी। उन्होंने पार्टी नेताओं से अपील की कि वे इस मुद्दे को जनता के बीच प्रमुखता से उठाएं और मतदाता जागरूकता अभियान चलाएं।
हर राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति
बसपा की रणनीति अब स्वावलंबन और स्वतंत्रता पर आधारित है। दिल्ली से आई एक महिला कार्यकर्ता ने बताया कि मायावती ने पार्टी के कोर वोट बैंक को मजबूत करने के सख्त निर्देश दिए हैं। वहीं, केरल से आए एक नेता ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनावों में मायावती की पार्टी किसी भी राज्य में गठबंधन नहीं करेगी और पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी।
बिहार चुनाव के लिए मायावती का संदेश
हालांकि मायावती ने बिहार के लिए किसी खास गठबंधन की घोषणा नहीं की, लेकिन यह तय हो गया है कि वहां भी बसपा अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी। ऐसे में राज्य की राजनीतिक तस्वीर में नया मोड़ आ सकता है। बसपा का यह कदम प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना को और मजबूत करता है। मायावती के इस फैसले से साफ है कि बसपा अब सहायता नहीं, स्वायत्तता की राह पर चलने को तैयार है। “हर राज्य में अकेले लड़ने” का ऐलान न सिर्फ बसपा के आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह विपक्षी दलों के लिए भी एक चेतावनी है कि बहुजन राजनीति अब नए तेवर में मैदान में उतरेगी। ईवीएम को लेकर उठाए गए सवाल और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद से यह स्पष्ट होता है कि बसपा आगामी चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रही है।
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