Bihar Politics:बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह महागठबंधन या इंडी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। ओवैसी ने नाराजगी जताते हुए कहा, “अब एकतरफा मोहब्बत नहीं चलेगी”, और यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
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महागठबंधन से न मिली तवज्जो
ओवैसी ने बताया कि उन्होंने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए प्रस्ताव भेजा था। लेकिन उस प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया गया। ओवैसी का कहना है कि गठबंधन ने न तो कोई सकारात्मक संकेत दिया और न ही संवाद स्थापित किया। इसी रवैये से आहत होकर AIMIM ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
तीसरे मोर्चे की तलाश में AIMIM
महागठबंधन से दूरी बनाने के बाद AIMIM अब एक तीसरे मोर्चे के गठन की संभावनाएं तलाश रही है। पार्टी का मानना है कि सीमांचल जैसे पिछड़े इलाकों में उनके पास मजबूत जनाधार है और वहां की जनता उन्हें विकल्प के रूप में देख रही है। बिहार AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने भी तीसरे मोर्चे की वकालत की है, जिसे ओवैसी का समर्थन मिला है।
सीमांचल रहेगा फोकस, आयोग पर भी साधा निशाना
AIMIM का फोकस सीमांचल क्षेत्र पर रहेगा, जहां पार्टी पहले से ही सक्रिय है। ओवैसी ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और कहा कि आयोग को नागरिकता तय करने का अधिकार किसने दिया? उन्होंने एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) को एनआरसी जैसे कदमों को पिछले दरवाजे से लागू करने की साजिश करार दिया।
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सत्ता समीकरण और चुनाव की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है। हालांकि, चुनाव आयोग ने अब तक आधिकारिक तिथियों की घोषणा नहीं की है। वर्तमान में 243 विधानसभा सीटों में से एनडीए के पास 131 सीटें हैं, जिनमें भाजपा के 80, जदयू के 45, हम (एस) के 4 और 2 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। वहीं, विपक्षी भारत गठबंधन के पास कुल 111 विधायक हैं, जिसमें राजद के 77, कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों के 15 विधायक हैं।