Bihar Politics: बिहार में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद शुक्रवार, 21 नवंबर 2025 को मंत्रियों को उनके विभागों का वितरण किया गया। आधिकारिक घोषणा शाम तक जारी हुई। इस बार खास ध्यान का विषय यह रहा कि गृह विभाग, जो पिछले कई वर्षों तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास रहा, अब बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को सौंपा गया है। इस बदलाव ने राज्य की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है और विपक्षी दल आरजेडी ने इस पर तीखा हमला बोला है।
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राजनीतिक हलचल
आरजेडी का मानना है कि गृह विभाग का यह बदलाव स्पष्ट संकेत है कि राज्य की सरकार अब बीजेपी के प्रभाव में चलेगी, न कि अकेले नीतीश कुमार के नेतृत्व में। आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि भाजपा ने पहले ही रणनीति बनाई थी और जेडीयू को अपने माध्यम के रूप में इस्तेमाल कर यह लक्ष्य हासिल कर लिया। उनका कहना था कि इस बार नीतीश कुमार सिर्फ एक मुख्यमंत्री के रूप में चेहरा हैं, जबकि वास्तविक सत्ता का निर्णय बीजेपी के इशारे पर होगा।
एजाज अहमद ने आगे कहा कि गृह विभाग का अधिकार नीतीश कुमार से लेकर सम्राट चौधरी को दिए जाने से यह साफ संकेत मिलता है कि बिहार की सरकार बीजेपी की नीतियों और विचारों के अनुरूप काम करेगी। उन्होंने बताया कि यह वही चक्रव्यूह है जिसे बीजेपी ने पहले ही जेडीयू के इर्द‑गिर्द रचा था।
मंत्रिपरिषद का गठन और विभागों का वितरण
नई एनडीए सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा 26 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इसमें विभिन्न दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं:
- बीजेपी से 14 मंत्री
- जेडीयू से 8 मंत्री (नीतीश कुमार को छोड़कर)
- एलजेपी से 2 मंत्री
- हम और आरएलएम से 1‑1 मंत्री
कुछ मंत्रियों को एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। भविष्य में कैबिनेट विस्तार होने पर मंत्री संख्या बढ़ेगी और विभागों का बंटवारा दोबारा किया जाएगा।
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RJD की प्रतिक्रिया और आरोप
आरजेडी ने इस बदलाव को लेकर बीजेपी की रणनीति को आड़े हाथ लिया है। एजाज अहमद ने कहा कि यह साफ दिखाता है कि नीतीश कुमार की राजनीतिक स्वतंत्रता अब सीमित हो गई है और राज्य सरकार की नीतियां बीजेपी के निर्देशों के अनुसार संचालित होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी पहले ही यह संकेत दे चुकी थी कि गृह विभाग का नियंत्रण बीजेपी के हाथ में जाने से नीतीश कुमार की भूमिका केवल प्रतीकात्मक रह जाएगी।
आरजेडी की ओर से यह भी कहा गया कि गृह विभाग का राजनीतिक महत्व हमेशा से बड़ा रहा है, और इसे किसी अन्य दल को देना राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा। इस कदम के बाद राज्य की सियासी गर्माहट बढ़ गई है, और विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब जेडीयू पूरी तरह से बीजेपी के इशारों पर चलेगी।
