Bihar Voter List: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उनका नाम ही नई मतदाता सूची से हटा दिया गया है. पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) ने उनका सत्यापन किया था, लेकिन फिर भी ड्राफ्ट लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया. तेजस्वी यादव ने इसका वीडियो भी पत्रकारों को दिखाया.
“मेरा नाम नहीं तो पत्नी का कैसे?” जब मीडिया ने तेजस्वी यादव से उनकी पत्नी के वोटर आईडी कार्ड के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि “जब मेरा नाम ही नहीं जोड़ा गया, तो मेरी पत्नी का कैसे जुड़ जाएगा?” उन्होंने इस सवाल को चुनावी प्रणाली पर सवाल खड़ा करने वाला बताया और कहा कि यह सब एक बड़ी साजिश का हिस्सा है.
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“हर विधानसभा में 20-30 हजार नाम काटे गए”
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि पूरे बिहार में मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं. उन्होंने कहा कि लगभग हर विधानसभा क्षेत्र से 20 से 30 हजार वोटरों के नाम काटे गए हैं, जिससे कुल मिलाकर करीब 65 लाख यानी 8.5% मतदाता सूची से गायब हैं। यह एक सोची-समझी साजिश है.
“EPIC नंबर और पते गायब, ताकि जांच न हो सके”
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर उस ड्राफ्ट लिस्ट में EPIC नंबर, वोटर का पता और बूथ की जानकारी नहीं दी जिससे किसी को यह पता न चल सके कि किसका नाम हटा है। उन्होंने कहा, “यह एक तरह की चालाकी है ताकि पारदर्शिता न रहे और विरोधी दल मतदाता सूची की सही जांच न कर सकें।”
“निर्वाचन आयोग बना गोदी आयोग”
तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर सीधा हमला करते हुए कहा कि आयोग अब स्वतंत्र नहीं रहा और ‘गोदी आयोग’ बन गया है। उन्होंने सवाल किया कि जब बूथ और विधानसभा के अनुसार आंकड़े नहीं दिए गए तो हम कैसे जांच करेंगे कि कौन-कौन बाहर हुआ?
चुनाव लड़ने पर जताई चिंता
तेजस्वी यादव ने बताया कि उन्होंने SIR (Special Intensive Revision) के तहत फॉर्म भरा था। फिर भी न तो उनका नाम सूची में आया और न ही EPIC नंबर से कोई रिकॉर्ड मिला. उन्होंने चिंता जताई कि यदि वोटर लिस्ट में उनका नाम ही नहीं रहेगा तो वे चुनाव कैसे लड़ेंगे, क्योंकि इसके लिए नागरिकता का प्रमाण जरूरी होता है.
“क्या 65 लाख लोगों को दिया गया नोटिस?”
तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि क्या वोटर लिस्ट से नाम हटाने से पहले 65 लाख लोगों को कोई नोटिस भेजा गया? क्या उन्हें अपील का मौका दिया गया? क्या इनका फिजिकल वेरिफिकेशन हुआ? उन्होंने चुनाव आयोग पर “टारगेटेड” कार्रवाई करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया है.
बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच वोटर लिस्ट पर उठे सवालों ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है. तेजस्वी यादव के आरोप न सिर्फ चुनाव आयोग की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े करते हैं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता पर भी शंका पैदा करते हैं. अब देखना होगा कि आयोग इस मामले पर क्या सफाई देता है.