Bihar Voter List : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के फैसले को लेकर देश की राजनीति में कई सवाल उठने लगे । जिसाका मामला देश के शीर्ष आदालत में मामला दायर किया गया। मामलें कि सुनवाई 28 जुलाई को है। इस बीच मतदाता सुची की परिक्षण के दौरान एक सनसनीखेज मामला सामने आय़ा है। मतदाता सूची में विदेशियों की भी घुसपैठ! नेपाल-बांग्लादेश-म्यांमार के कई नागरिक बिहार की मतदाता सूची में हैं! चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है । रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ ऐसे मतदाताओं के नाम भी मतदाता सूची में हैं जिनका बिहार में कोई स्थायी पता नहीं है।
क्यों हो रहा है SIR ?
चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर काम कर रहा है। इसे ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ कहा जा रहा है। आयोग ने कहा कि यह कदम अवैध प्रवासियों और अयोग्य मतदाताओं को सूची से बाहर करने के लिए उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन यह सुनिश्चित करने के लिए है कि केवल योग्य भारतीय नागरिकों को ही मतदान का अधिकार मिले। बिहार के बाद अन्य राज्यों में भी एक-एक करके मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जाएगा।
SIR के लिए 11 दस्तावेजों की मांकग
बूथ स्तर के अधिकारी पंजीकृत मतदाताओं या नए आवेदकों के घर जाकर एक फॉर्म दे रहे हैं। फॉर्म भरकर जमा करना होगा। इसके साथ ही भारतीय नागरिकता का स्व-सत्यापित घोषणापत्र भी जमा करना होगा। समस्या यह है कि आयोग नागरिकता के प्रमाण के तौर पर जिन दस्तावेजों की मांग कर रहा है, उन्हें हासिल करने के लिए जनता को जद्दोजहद करनी पड़ रही है। आयोग ने नागरिकता के प्रमाण के तौर पर 11 दस्तावेजों की सूची दी है।
चुनाव आयोग द्वारा घोषित 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल हैं – किसी सरकारी या राज्य के स्वामित्व वाली संस्था का पहचान पत्र, 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई भी सरकारी दस्तावेज, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र, स्थायी निवासी प्रमाण पत्र, वन रक्षक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, एनआरसी में नाम शामिल होना, परिवार रजिस्टर और जमीन का दस्तावेज। लेकिन कई मतदाताओं के पास इन 11 दस्तावेजों में से कोई भी नहीं है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को सलाह दी थी कि वह इस बात पर गौर करे कि क्या मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड या राशन कार्ड को इस सूची में वैध दस्तावेजों के रूप में जोड़ा जा सकता है। लेकिन आयोग ने अभी तक वह अधिसूचना जारी नहीं की है।
SIR में चौंकाने वाला खुलासा
आयोग के सूत्रों के अनुसार, इन फर्जी मतदाताओं का चयन करते समय बड़ी संख्या में विदेशी मतदाताओं का पता चल रहा है। इनमें से ज्यादातर बांग्लादेश या नेपाल के निवासी हैं। कुछ म्यांमार के भी हैं। हालांकि संख्या की सही जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है। आयोग के सूत्रों के अनुसार, ऐसे मतदाताओं के नाम अगले सितंबर में प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे। उस मतदाता सूची में केवल भारतीयों के नाम ही शामिल किए जाएंगे। विशेष गहन पुनरीक्षण का यही उद्देश्य है।
आपको बतादें कि चुनाव आयोग की इस फैसले के बाद देश के तमाम विपक्षी दल सरकार के साथ चुनाव आयोग पर भी सवाल उठा रहे हैं। खास तौर पर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया है।
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