Bihar SIR: बिहार में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़ा निर्देश दिया है कि वह पूरी प्रक्रिया को मतदाताओं के लिए आसान, स्पष्ट और पारदर्शी बनाए। अदालत ने कहा कि मतदाताओं को नाम हटाने के कारणों की स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए ताकि कोई भी असमंजस न रहे। इस फैसले से चुनाव प्रक्रिया में सुधार की उम्मीद जगी है।
कांग्रेस ने SC के आदेश का किया जोरदार स्वागत
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का रवैया मतदाताओं के हितों के खिलाफ था और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से लोकतंत्र ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को बेनकाब करते हुए उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाताओं को उनकी सूची से हटाए जाने के कारणों के साथ सूचित किया जाना जरूरी है। 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि हटाए गए मतदाताओं के लिए आधार कार्ड को वैध पहचान पत्र के तौर पर स्वीकार किया जाए। आज फिर अदालत ने आधार को मान्यता देते हुए चुनाव आयोग को इसे स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बिहार में जारी SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कहा, “हम इस फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि हम शुरूआत से, जब से SIR की प्रक्रिया शुरू हुई है यही मांग कर रहे हैं। आधार कार्ड पहचान का एक मूल दस्तावेज है और अगर उसी को आप स्वीकार नहीं करेंगे तो हम कहां जाएंगे? हैरानी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत पड़ी, इसी से पता चलता है कि चुनाव आयोग की नीयत में खोट है…”
फैसले को मतदाताओं के हितों के खिलाफ बताया गया
जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को भी प्रक्रिया में शामिल कर इसे और मजबूत तथा न्यायसंगत बनाने की बात कही है। इसके विपरीत, चुनाव आयोग का अब तक का निर्णय बाधक और मतदाताओं के हितों के खिलाफ रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा निर्णय है जो लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने चुनाव आयोग की पोल खोल दी है और उसे बदनाम कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस फैसले से अब चुनाव आयोग को मतदाताओं के अधिकारों का सम्मान करना होगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। जयराम रमेश ने कहा, “यह आदेश चुनाव आयोग को एक सख्त चेतावनी है कि अब वह मतदाताओं के अधिकारों की अनदेखी नहीं कर सकता।”
राजनीतिक दलों की भागीदारी
सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण में राजनीतिक दलों की भूमिका को अहम बताया है ताकि प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद हो। इससे मतदाताओं के नाम बिना किसी गलत वजह के हटाए जाने की घटनाओं पर रोक लगेगी और लोकतंत्र को मजबूत आधार मिलेगा।
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