Bijapur Naxals Surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से नक्सल गतिविधियों से जूझ रहे इस क्षेत्र में राज्य सरकार की पुनर्वास और ‘मुख्यधारा में लौटो’ नीतियों का सकारात्मक असर धीरे-धीरे दिखने लगा है। बुधवार को कुल 41 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा का मार्ग छोड़ने का ऐलान किया। इनमें 12 महिलाएँ और 29 पुरुष शामिल हैं, जिन पर मिलाकर 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में प्लाटून-01 के सदस्य, एरिया कमेटी पार्टी पदाधिकारी, मिलिशिया कमांडर और साउथ सब जोनल ब्यूरो से जुड़े कई महत्वपूर्ण माओवादी सम्मिलित हैं।
Bijapur Naxals Surrender: ‘अभय’ नाम से आ रहे नए पत्र बने सुरक्षा एजेंसियों के लिए पहेली
उधर, नक्सल संगठन के भीतर एक और दिलचस्प मोड़ सामने आया है। पहले जिस ‘अभय’ नाम से बयान और पत्र जारी होते थे, वह माओवादी नेता वेणुगोपाल उर्फ सोनू पहले ही आत्मसमर्पण कर चुका है। इसके बावजूद हाल ही में ‘अभय’ के नाम से नए पत्र सामने आए हैं, जिससे सुरक्षा बलों में हलचल बढ़ गई है। बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (IG) ने सभी सुरक्षाबलों को अलर्ट जारी किया है और आंध्र प्रदेश व तेलंगाना पुलिस से जानकारी प्राप्त की जा रही है कि कहीं कोई दूसरा माओवादी नेता ‘अभय’ नाम का उपयोग तो नहीं कर रहा। IG ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा, “अभय के नाम से पत्र जारी करने वाला तुरंत आत्मसमर्पण करे, अन्यथा परिणाम गंभीर होंगे। अभय नाम का अब अस्तित्व समाप्त हो चुका है।”
Bijapur Naxals Surrender: नारायणपुर में भी आत्मसमर्पण का सिलसिला जारी
बीजापुर के आत्मसमर्पण से पहले, नारायणपुर जिले में भी सुरक्षा बलों ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी। सोमवार को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) से जुड़े 28 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। ये सभी अबूझमाड़ के घने जंगलों में सक्रिय थे और लंबे समय से पुलिस की निगाहों में थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से लगातार सर्च ऑपरेशन, गश्त और दबाव बढ़ने के कारण नक्सली अपने ठिकानों से बाहर निकलने को मजबूर हुए। इसके साथ ही राज्य सरकार की ‘पूना मारगेम’ नीति ने भी उन्हें आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में वापसी के लिए प्रेरित किया।
आत्मसमर्पित नक्सलियों को मिलेगी पुनर्वास सुविधा और रोजगार सहायता
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादी कैडरों को योजनाओं के तहत रोजगार प्रशिक्षण, आवास, आर्थिक सहायता और सामाजिक पुनर्वास जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी। सरकार का मानना है कि यह न केवल नक्सलियों को नई दिशा देगा, बल्कि गांवों में फैले भय के माहौल को भी कम करेगा। पुलिस और प्रशासन का कहना है कि पुनर्वास कार्यक्रमों के प्रभाव से नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं और जंगलों में सक्रियता लगातार घट रही है।
नक्सल अभियान को मिली नई गति
विशेषज्ञों का मत है कि राज्य सरकार के नियमित दबाव, सुरक्षा ऑपरेशन और प्रभावी पुनर्वास नीतियों का संयुक्त प्रभाव अब दिखाई देने लगा है। कई इलाकों में नक्सल गतिविधियाँ कम हुई हैं, जिससे स्थानीय लोगों में भरोसा बढ़ा है। सरकार का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा और उन्हें सामान्य जीवन अपनाने में हरसंभव मदद की जाएगी।बस्तर क्षेत्र में शांति की यह प्रक्रिया लगातार तेज हो रही है, जिससे विकास कार्यों के लिए नए अवसर खुल रहे हैं और लोगों को भयमुक्त माहौल मिल रहा है।
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