West Bengal Political: पश्चिम बंगाल में सियासी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पर हमले की खबर सामने आई है। इस घटना को लेकर भाजपा ने सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और उसकी कथित ‘लुंगी वाहिनी’ पर आरोप लगाया है।
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि शुभेंदु अधिकारी जब मां काली पूजा कार्यक्रम में हिस्सा लेने मथुरापुर और मंदिरबाजार क्षेत्रों में जा रहे थे, तब टीएमसी समर्थकों द्वारा सुनियोजित हमला किया गया।
महिलाओं को बनाया ढाल, बांग्लादेशियों पर भी आरोप
मालवीय ने अपने ट्वीट में लिखा, “टीएमसी की लुंगी वाहिनी ने महिलाओं को ढाल की तरह इस्तेमाल कर शुभेंदु अधिकारी पर हमला किया। हम इस जघन्य और सुनियोजित हमले की कड़ी निंदा करते हैं। यह हमला टीएमसी की जिला परिषद सदस्य रेखा गाजी के इशारे पर हुआ और इसमें अवैध बांग्लादेशी शामिल थे।”उन्होंने इसे लोकतंत्र और कानून व्यवस्था का खुला उल्लंघन बताते हुए टीएमसी की “हताशा और अलोकतांत्रिक चरित्र” का प्रतीक बताया।
एक महीने में तीसरा बड़ा हमला
पिछले एक महीने में पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं पर यह तीसरा बड़ा हमला है: 18 अक्टूबर को दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिस्ता पर हमला हुआ था। सुखिया पोखरी के पास मसधुरा में अज्ञात हमलावरों ने उनके काफिले को निशाना बनाया। उनकी गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई, हालांकि वह बाल-बाल बच गए। 6 अक्टूबर को मालदा नॉर्थ से भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और सिलीगुड़ी के विधायक डॉ. शंकर घोष पर पथराव हुआ था। ये दोनों बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री बांटने गए थे। हमले में सांसद के सिर में गंभीर चोटें आई थीं।
भाजपा का हमला, टीएमसी की चुप्पी
भाजपा इन हमलों को “राजनीतिक बदले की भावना” से प्रेरित बता रही है और राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रही है। वहीं, टीएमसी की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। राज्य में लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने कानून-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विपक्ष की आवाज को कुचलने के लिए हिंसा का सहारा लिया जा रहा है, जो कि बेहद निंदनीय है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं पर बढ़ते हमले न केवल राज्य की राजनीति को गर्मा रहे हैं, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले कानून-व्यवस्था और लोकतंत्र की स्थिति पर गंभीर बहस भी छेड़ रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी पारा और चढ़ने की संभावना है।

