Tamil Nadu Politics: चुनाव से पहले तमिलनाडु में भाजपा को झटका लगा है। जयललिता के करीबी सहयोगी टीटीवी दिनाकरन ने एनडीए गठबंधन छोड़ने का ऐलान कर दिया है। दिनाकरन ने बुधवार को अपने फैसले की घोषणा करते हुए दावा किया कि उनके साथ धोखा हुआ है।
एनडीए को लगा झटका
ई पलानीस्वामी, ओ पन्नीरसेल्वम, शशिकला, टीटीवी दिनाकरन ये सभी तमिलनाडु की राजनीति में जाने-पहचाने नाम हैं। जयललिता के जीवित रहते हुए ये सभी AIADMK के लिए काम करते थे। जयललिता के निधन के बाद आपसी मतभेदों के कारण ये अलग हो गए। ये अलग-अलग राजनीतिक संगठनों के बैनर तले लड़े। नतीजतन DMK को बढ़त मिली। 26वें विधानसभा चुनाव में ऐसी स्थिति न हो इसके लिए भाजपा इन सभी को एक झंडे तले लाने की कोशिश कर रही है। भाजपा इन सभी को एनडीए में शामिल कराने की कोशिश कर रही है।
टीटीवी ने क्यों लिया ये फैसला
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भगवा खेमे ने ई. पलानीस्वामी और टीटीवी दिनाकरन के बीच की बर्फ पिघलाने की पहल की। भाजपा नेता चाहते थे कि दिनाकरन की पार्टी एएमएम, एआईएडीएमके के साथ एनडीए गठबंधन में शामिल हो। भगवा खेमे को इसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली। पलानीस्वामी ने 2019 में दिनाकरन के खिलाफ जो मुकदमा दायर किया था, उसे भी वापस ले लिया गया। लेकिन फिर बातचीत आगे नहीं बढ़ी। आखिरकार तंग आकर दिनाकरन ने एनडीए में शामिल न होने का फैसला सुना दिया।
दिनाकरन का दावा
उनका दावा है कि उनकी पार्टी एएमएम लगभग डेढ़ महीने से जयललिता के सिपाहियों के एक छत्र तले आकर लड़ने का इंतज़ार कर रही है। लेकिन इस वक़्त साफ है कि अम्मा के सारे सिपाहियों का एकजुट होना नामुमकिन है। दिनाकरन कहते हैं, “हमारे साथ धोखा हुआ है। हमारी पार्टी का जन्म ही धोखे का विरोध करने के लिए हुआ था। इसलिए हम गठबंधन में नहीं रह सकते।” यानी डीएमके के खिलाफ एक बड़े गठबंधन का जो सपना भाजपा देख रही थी, वो सपना ही रह गया।
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