BK Hariprasad : वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद द्वारा आरएसएस को ‘भारतीय तालिबान’ कहने वाले बयान पर भाजपा ने जमकर हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस की मानसिकता को तालिबानी बताते हुए कहा कि कांग्रेस हर राष्ट्रवादी संगठन को बदनाम करती है, जबकि प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठनों जैसे पीएफआई और सिमी से उसका प्रेम जाहिर है।
भाजपा का कांग्रेस को ताना
शहजाद पूनावाला ने सवाल किया कि महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गज नेताओं ने आरएसएस की प्रशंसा क्यों की? उन्होंने दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी द्वारा आरएसएस मुख्यालय की यात्रा का भी जिक्र किया। भाजपा ने कहा कि यह कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।
बीके हरिप्रसाद ने आरएसएस की आलोचना की
पूर्व सांसद बीके हरिप्रसाद ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरएसएस की सराहना पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरएसएस देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने इसे ‘भारतीय तालिबान’ बताते हुए कहा कि मोदी लाल किले से ऐसे संगठन की प्रशंसा कर रहे हैं। हरिप्रसाद ने कहा कि आरएसएस एक पंजीकृत संगठन नहीं है, और इसका वित्तीय स्रोत अस्पष्ट है। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर इतिहास को तोड़-मरोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये संगठन आजादी की लड़ाई और इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं।
इतिहास को लेकर कांग्रेस का अपना पक्ष
बीके हरिप्रसाद ने इतिहास के कुछ पहलुओं का हवाला देते हुए कहा कि आजादी से पहले बंगाल के प्रधानमंत्री एके फजलुल हक और संघ विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव दिया था। इसके साथ ही उन्होंने जिन्ना और सावरकर के विचारों का भी उल्लेख किया, जो दोनों धर्मों के लिए अलग-अलग राज्यों की मांग करते थे।
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को ‘झूठा और दुर्भावनापूर्ण’ बताया
भाजपा ने कांग्रेस पर कट्टरपंथी संगठनों के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्रवादी संगठनों के खिलाफ गलत प्रचार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस का यह रवैया देशहित के खिलाफ है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ऐसे बयान समाज में नफरत और गलतफहमी फैलाते हैं।
बीके हरिप्रसाद के आरएसएस को ‘तालिबान’ बताने वाले बयान ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। भाजपा ने इसे कांग्रेस की पुरानी मानसिकता का प्रतीक बताया है जो राष्ट्रवादी संगठनों को बदनाम कर समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश करती है। इस बयान ने दोनों दलों के बीच इतिहास और राष्ट्रीय पहचान को लेकर बहस को और तीव्र कर दिया है।
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