Boycott Turkey: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद, जहां पाकिस्तान परस्त आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली, दुनिया भर के देशों ने पाकिस्तान की निंदा की। मगर तुर्की ऐसा देश रहा जिसने न सिर्फ पाकिस्तान का समर्थन किया, बल्कि हमले के प्रति सहानुभूति भी दिखाई। इससे भारत में गहरा आक्रोश पनपा है और अब तुर्की की इस नीतिगत स्थिति का असर उसके मनोरंजन जगत पर दिखने लगा है।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर भी तुर्की की आलोचना
बताते चले कि, भारत द्वारा पहलगाम हमले का जवाब देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया गया, जिसकी दुनियाभर में सराहना हुई। परंतु तुर्की ने पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत की कार्रवाई की आलोचना की और उसे 300-400 ड्रोन देने की बात कही। यही तुर्की है, जिसे प्राकृतिक आपदा के समय भारत ने सबसे पहले मदद पहुंचाई थी। अब वही तुर्की पाकिस्तान की तरफदारी कर रहा है, जो भारतीय भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है।
सोशल मीडिया पर ‘बॉयकॉट तुर्की’ ट्रेंड करने लगा
तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंध अब तुर्की के सॉफ्ट पावर पर असर डालने लगे हैं। भारत में तुर्की के ऐतिहासिक और रोमांटिक धारावाहिक जैसे ‘एर्तुरुल गाजी’ और ‘उस्मान’ काफी लोकप्रिय थे। लेकिन सोशल मीडिया पर ‘बॉयकॉट तुर्की’ ट्रेंड करने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की की पाकिस्तान समर्थक नीतियां भारतीय दर्शकों के बीच उसकी लोकप्रियता को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।
राजनीति के कारण बदल सकता है दर्शकों का रुझान
भारत में पहले भी ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां राजनीतिक मतभेदों के चलते विदेशी फिल्में और शो का बहिष्कार किया गया है। अब टर्किश ड्रामा इसी राह पर है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर तुर्की की बयानबाज़ी भारतीय जनता को नाराज़ कर सकती है और इसका सीधा असर टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर तुर्की कंटेंट की मांग पर पड़ेगा।
तुर्की को भुगतना पड़ सकता है खामियाज़ा
यह तथ्य जगजाहिर है कि मनोरंजन उद्योग किसी भी देश की सॉफ्ट पावर और अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ा होता है। भारत में टर्किश ड्रामा की मांग कम होने से तुर्की के मनोरंजन सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है। अगर भारत जैसे बड़े बाजार से समर्थन खत्म होता है, तो इसका प्रभाव तुर्की की सांस्कृतिक साख और आर्थिक मोर्चे पर भी पड़ेगा।
तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन और भारत विरोधी रुख ने उसे भारतीय जनता के निशाने पर ला दिया है। टर्किश ड्रामों का बहिष्कार इसका पहला संकेत है। यदि तुर्की ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया, तो उसे मनोरंजन ही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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