BR Gavai: ऐसे में जब देशभर में हिंदी भाषा और मोदी सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर लगातार बहस चल रही है, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई ने मातृभाषा पर बड़ी टिप्पणी की है। रविवार को अपने बचपन के स्कूल का दौरा करने के बाद वे भावुक हो गए और कहा, “मातृभाषा जीवन में मूल्यों को स्थापित करने में मदद करती है।” हाल के दिनों में देश में हिंदी आक्रामकता के आरोप बार-बार लग रहे हैं। खासकर दक्षिणी राज्यों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि चीफ जस्टिस की ऐसी टिप्पणियां काफी मायने रखती हैं।
गवई ने बचपन में मुंबई के मराठी मीडियम स्कूल में पढ़ाई की। रविवार को वहां एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वे भावुक हो गए। गवई ने कहा, “मैं आज जिस मुकाम पर हूं, उसके पीछे मेरे शिक्षकों और इस स्कूल का योगदान निर्विवाद है। स्कूल से मिली शिक्षा और मूल्यों ने मेरे जीवन को समृद्ध किया है। मेरे जीवन की यात्रा स्कूल से ही शुरू हुई।”
साथ ही उन्होंने कहा, “स्कूल की प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर मुझे आत्मविश्वास मिला।” मराठी में पढ़ाई के अपने अनुभव को याद करते हुए गवई ने मातृभाषा के महत्व को समझाया। उनके शब्दों में, “मातृभाषा में पढ़ाई न केवल वैचारिक स्पष्टता बढ़ाती है, बल्कि जीवन में मूल्यों को स्थापित करने में भी मदद करती है।”
भाषा विवाद पर संतुलन का संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि चीफ जस्टिस की इस तरह की टिप्पणी भाषाई विवादों को सुलझाने और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकती है। इससे पहले भी वे विभिन्न मंचों पर लोकतंत्र, समानता और न्याय की अवधारणाओं में भाषाओं की भूमिका पर जोर दे चुके हैं। गवई का यह वक्तव्य दर्शाता है कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कार और मूल्यबोध का आधार भी है।