Breaking News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और सुबह करीब 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका निधन भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखा जाएगा, जहां रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इसरो में 10 साल तक चेयरमैन रहे डॉ. कस्तूरीरंगन
बताते चले कि, डॉ. कस्तूरीरंगन ने इसरो के अध्यक्ष के रूप में सबसे लम्बे समय तक सेवा दी। उन्होंने 10 वर्षों तक इसरो के चेयरमैन के रूप में कार्य किया, जिसके दौरान उन्होंने संगठन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व में इसरो ने कई महत्वपूर्ण मिशनों को सफलता से पूरा किया, जिससे भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक मजबूत और प्रतिष्ठित राष्ट्र बनकर उभरा।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान
आपको बता दे कि, डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने कई महत्वपूर्ण उपग्रहों और मिशनों की सफलता हासिल की। उन्होंने भारतीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) की सफल उड़ान और संचालन का मार्गदर्शन किया। इसके अलावा, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के पहले सफल उड़ान परीक्षण की भी देखरेख की। उनके कार्यकाल में भारत ने उपग्रहों की नई पीढ़ी को विकसित किया और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी धाक जमाई।
इसरो के पहले उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण की दिशा में योगदान
डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (INSAT-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (IRS-1A और IRS-1B) जैसे प्रमुख उपग्रहों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण से भारत की उपग्रह तकनीक में अहम वृद्धि हुई, जो न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को बल देने में मददगार साबित हुई, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया।
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक योगदान के लिए सम्मानित
डॉ. कस्तूरीरंगन ने अपने कार्यकाल में न केवल इसरो की उपलब्धियों को आगे बढ़ाया, बल्कि उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष नीति और विज्ञान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी नीतियों ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मजबूत कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। उनकी दूरदृष्टि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने इसरो को वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के काबिल बनाया।
डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का निधन भारतीय विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा। उनके द्वारा स्थापित नींव पर आज भी भारत अंतरिक्ष में अपनी सफलता की नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है।
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