BRICS Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच देशों की विदेश यात्रा के चौथे पड़ाव में ब्राजील पहुंच चुके हैं, जहां वे ब्रिक्स के 17वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इससे पहले वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा अर्जेंटीना का दौरा कर चुके हैं। इस सम्मेलन में उनकी भागीदारी भारत की वैश्विक रणनीति को मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
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क्या है ब्रिक्स और कैसे हुई इसकी शुरुआत?
बताते चले कि, ब्रिक्स एक अनौपचारिक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसमें दुनिया की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाएं—ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इसकी नींव 2001 में अर्थशास्त्री जिम ओनील ने BRIC के रूप में रखी थी और 2006 में इसकी औपचारिक शुरुआत हुई। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने के बाद इसका नाम ब्रिक्स हो गया।
ब्रिक्स में भारत की भूमिका और बढ़ती अहमियत
आपको बता द कि, भारत ब्रिक्स को एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था के मंच के रूप में देखता है, जहां पश्चिमी देशों के वर्चस्व को संतुलित किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि भारत वैश्विक कूटनीति, आर्थिक सहयोग और शांति स्थापना को लेकर गंभीर है।
ब्रिक्स में नए सदस्य और भारत की तैयारी
2024 में ब्रिक्स का विस्तार करते हुए सऊदी अरब, मिस्त्र, ईरान, इथोपिया और यूएई को सदस्य बनाया गया। 2025 में इंडोनेशिया भी शामिल हो गया। भारत को अगला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी जानी है, ऐसे में पीएम मोदी की भागीदारी यह दिखाती है कि भारत पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है।
ब्रिक्स का उद्देश्य: विकासशील देशों के लिए साझा मंच
ब्रिक्स का लक्ष्य पारदर्शी, समावेशी और गैर-भेदभावपूर्ण वैश्विक व्यापार प्रणाली बनाना है। संगठन डॉलर से अलग एक साझा मुद्रा पर भी चर्चा करता रहा है। भारत इस मंच के जरिए आर्थिक कूटनीति को आगे बढ़ाने और डॉलर पर निर्भरता घटाने के पक्ष में है।
भारत के लिए ब्रिक्स क्यों है जरूरी?
ब्रिक्स की रणनीति भारत के प्रमुख हितों—आतंकवाद से लड़ाई, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन—से जुड़ी है। इस मंच पर भारत की सक्रियता उसे न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी मजबूती देती है। इसके जरिए भारत दक्षिणी देशों के साथ संबंध और सहयोग को बढ़ा सकता है।
ग्लोबल संकट और ब्रिक्स की भूमिका
इस बार का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-ईरान संघर्ष और गाजा पर हमले जैसी वैश्विक घटनाएं चल रही हैं। सम्मेलन में इन मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ आतंकवाद और अमेरिका की नीतियों पर भी संयुक्त प्रतिक्रिया की संभावना है।
भारत की निष्पक्ष भूमिका और रणनीतिक संतुलन
भारत ब्रिक्स में अपनी उपस्थिति से यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यह संगठन केवल चीन-रूस के प्रभाव वाला मंच न बने। भारत की स्वतंत्र और तटस्थ छवि बनाए रखने के लिए यह मंच उसे एक प्रभावशाली अवसर प्रदान करता है, जिससे वह वैश्विक संतुलन बनाने में योगदान दे सके।
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