Palestine State : इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष के बीच वैश्विक राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है। रविवार को ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीनी को आधिकारिक रूप से एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। इस कदम से इजरायल की सरकार, खासकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गुस्से से भड़क उठे हैं। उन्होंने इसे “आतंकवादियों को इनाम देने” जैसा कदम बताया है और दो टूक कहा कि “फिलिस्तीनी कभी भी राष्ट्र नहीं बनेगा।”
नेतन्याहू का कड़ा विरोध, दी चेतावनी
इजरायली कैबिनेट बैठक के बाद नेतन्याहू ने बयान जारी करते हुए कहा “पैलेस्टाइन को राष्ट्र का दर्जा देना अत्यंत खतरनाक कदम है। यह उन लोगों को इनाम देने जैसा है, जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं। इजरायल इस कदम के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रतिक्रिया देगा। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं फिलिस्तीनी कभी भी राष्ट्र नहीं बन सकता।”उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह कदम इजरायल की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है और इससे शांति की प्रक्रिया को गहरा धक्का लगेगा।
विश्वभर में मिल रहा पालेस्टाइन को समर्थन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टारमर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा “मध्य पूर्व में जारी हिंसा के बीच हम शांति और दो-राष्ट्र समाधान की संभावना को जिंदा रखने के लिए काम कर रहे हैं। इसका अर्थ है एक सुरक्षित इजरायल और एक स्वतंत्र पालेस्टाइन।”स्टारमर ने यह भी कहा कि ब्रिटेन की यह मान्यता इस दिशा में एक “स्पष्ट और नैतिक निर्णय” है। इसी तरह, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी आधिकारिक रूप से फिलिस्तीनी को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है।
इजरायल-गाजा संघर्ष की भयावह तस्वीर
इस पूरी राजनीतिक हलचल के बीच गाजा में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक 64,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और कई क्षेत्रों में भयंकर भुखमरी फैली हुई है। इसी मानव संकट को देखते हुए अब तक संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 145 देश पालेस्टाइन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं। अब उस सूची में ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का नाम भी जुड़ गया है।
दो-राष्ट्र समाधान की ओर वैश्विक कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि फिलिस्तीनी को मान्यता देने का यह सिलसिला मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक पहल हो सकता है। हालांकि, इजरायल की कट्टर प्रतिक्रिया और नेतन्याहू की चेतावनी इस राह को आसान नहीं बनने दे रही।
दुनिया के प्रमुख लोकतांत्रिक देश जब फिलिस्तीनी को राष्ट्र का दर्जा दे रहे हैं, तब इजरायल के प्रधानमंत्री का विरोध इस बात का संकेत है कि यह संघर्ष सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक टकराव का भी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वैश्विक कूटनीति इस टकराव को किस दिशा में ले जाती है शांति की ओर या और भी गहराते टकराव की ओर।
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