Budget Economic Survey 2025: क्या 8% ग्रोथ से दौड़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था? जानें सरकार की नई योजना!

Mona Jha
Economic Survey 2025
Economic Survey 2025

Budget Economic Survey 2025:भारत के वित्तीय स्वास्थ्य को दर्शाते हुए 2025 के लिए प्रस्तुत आर्थिक सर्वे में आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.3% से 6.8% के बीच रखा गया है। यह आंकड़ा पिछले चार वर्षों में सबसे कम अनुमानित विकास दर है। पिछले वर्ष, 2024-25 के आर्थिक सर्वे में जीडीपी ग्रोथ 6.5% से 7% के बीच रहने की संभावना जताई गई थी। इसके अलावा, सर्वे में यह भी बताया गया कि आने वाले वर्षों में भारत के आर्थिक विकास को और गति देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

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2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए 8% विकास दर की आवश्यकता

आर्थिक सर्वे में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो उसे अगले दो दशकों में औसतन 8% जीडीपी ग्रोथ प्राप्त करनी होगी। यह लक्ष्य तब हासिल किया जा सकेगा जब भारत लगातार उच्च विकास दर को बरकरार रखेगा। हालांकि, वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य के प्रभाव को भी इस विकास दर पर ध्यान देना आवश्यक है, क्योंकि यह कई बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकता है।

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सोशल सर्विसेज में भारी निवेश

आर्थिक सर्वे 2024-25 में यह भी बताया गया कि भारत सरकार ने सामाजिक सेवाओं में भारी निवेश किया है। सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और सामाजिक अवसंरचना के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 2020-21 में सरकार ने इस क्षेत्र में 23.3% खर्च किया था, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 26.2% हो गया है। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों का सामाजिक सेवाओं के लिए खर्च 2020-21 के 14.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 25.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।

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लेबर रिफॉर्म्स और रोजगार के अवसरों में वृद्धि

आर्थिक सर्वे में लेबर रिफॉर्म्स का भी उल्लेख किया गया है, जिनकी वजह से श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हो रही है और रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। इन सुधारों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में समावेशिता को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसरों को बढ़ाना और व्यापार में सहूलियत प्रदान करना है। यह न केवल श्रमिकों की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि समग्र विकास की दिशा में भी सहायक होगा।

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युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य

आर्थिक सर्वे के अनुसार, भविष्य में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। जीवनशैली, कार्यस्थल का माहौल और पारिवारिक स्थिति उत्पादकता में अहम भूमिका निभाते हैं। सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताना, शारीरिक व्यायाम की कमी और पारिवारिक समय की अनदेखी से युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, जिससे उनकी कार्यकुशलता और समग्र जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ रहा है।

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