Bulandshahr Case: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में वर्ष 2018 में हुई चर्चित स्याना हिंसा और हत्या के मामले में अदालत ने 30 जुलाई 2025 को 38 आरोपियों को दोषी ठहराया था। अब कोर्ट ने शनिवार को सजा का ऐलान करते हुए 5 आरोपियों को उम्रकैद और 33 अन्य को 7-7 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला बुलंदशहर कोर्ट में सुरक्षा के अभूतपूर्व बंदोबस्त के बीच सुनाया गया, जहां 5 थानों की पुलिस और तीन क्षेत्राधिकारी (CO) तैनात थे।
राजनीतिक और धार्मिक संगठनों से जुड़े हैं दोषी
इस मामले में दोषी ठहराए गए कई व्यक्ति भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और RSS जैसे संगठनों से जुड़े हुए हैं। दोषियों में एक ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य और हिंदूवादी संगठनों के प्रमुख सदस्य शामिल हैं। कोर्ट के फैसले के दिन माहौल संवेदनशील होने के कारण पुलिस-प्रशासन ने व्यापक सतर्कता बरती।
क्या हुआ था 3 दिसंबर 2018 को?
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के महाव गांव में गोकशी की अफवाह फैली। गांव के बाहर गोवंश के अवशेष मिलने की खबर जंगल में आग की तरह फैली, जिसके बाद हिंदूवादी संगठनों और ग्रामीणों ने प्रदर्शन शुरू किया। प्रदर्शनकारियों ने गोमांस के अवशेष ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी तक ले जाकर विरोध जताया।
अफवाह से भड़की हिंसा, चौकी पर हमला
पुलिस द्वारा रोकने की कोशिश पर भीड़ उग्र हो गई और पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद भीड़ ने चौकी पर हमला बोलते हुए पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और चौकी को भी फूंक डाला। इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित कुमार की मौत हो गई। यह घटना राज्य भर में सुर्खियों में आ गई थी।
44 के खिलाफ चार्जशीट, 6.5 साल में 5 की मौत
बुलंदशहर पुलिस ने हिंसा, हत्या और आगजनी के मामले में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिनमें 5 आरोपियों की इस दौरान मौत हो चुकी है। एक आरोपी नाबालिग है, जिसका केस जुवेनाइल कोर्ट में विचाराधीन है। शेष 38 दोषियों में 4 अभी जेल में हैं, जबकि 34 आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
आरोपी योगेश राज को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
इस मामले का मुख्य आरोपी योगेश राज, जो वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है, सुप्रीम कोर्ट से एक माह पूर्व ही जमानत पर रिहा हुआ है। 2018 में हिंसा के तुरंत बाद योगेश राज को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसके खिलाफ लगातार कानूनी प्रक्रिया जारी रही।
फैसले से पहले कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा
कोर्ट में फैसले के ऐलान से पहले अदालत के भीतर और बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। प्रशासन ने इस संवेदनशील मामले को लेकर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए 5 थानों की फोर्स और 3 CO को विशेष जिम्मेदारी सौंपी थी। इस घटना को 6 साल 7 महीने से अधिक समय हो गया है। इतने लंबे अंतराल के बाद अदालत ने अब जाकर दोषियों को सजा सुनाई है। इस निर्णय को पीड़ित पक्ष ने देर से मिला न्याय बताया है, लेकिन यह भी कहा है कि इससे पीड़ित परिवार को कुछ राहत जरूर मिली है।