Constitutional Amendment Bill: क्या केंद्र ‘दागी’ मंत्री-CM हटाने वाला विधेयक पारित कर पाएगा? आंकड़ों से दिख रही चुनौती

Chandan Das
Sansad

Constitutional Amendment Bill: केंद्र सरकार ने संसद में एक नया विधेयक पेश किया है, जिसके तहत दागी मंत्री या मुख्यमंत्री को पद से हटाने का प्रावधान रखा गया है। हालांकि यह विधेयक दोनों सदनों में पेश किया गया, पर सरकार ने अब तक इस पर मतदान नहीं कराया है। इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजकर और विचार के लिए टाल दिया गया है। आंकड़ों से यह साफ दिखता है कि वर्तमान स्थिति में मोदी सरकार के लिए इसे पारित कराना आसान नहीं होगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किए तीन अहम विधेयक

बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए—केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। इन विधेयकों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी मंत्री, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को गंभीर अपराध में शामिल पाए जाने पर संवैधानिक संरक्षण न मिले। प्रस्ताव के तहत, अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री 30 दिन से अधिक जेल में रहे, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।

विधेयक पारित करना चुनौतीपूर्ण

हालांकि विधेयक संसद में पेश किया गया है, लेकिन मतदान अभी तक नहीं हुआ। संविधान संशोधन के लिए आवश्यक है कि कम से कम दो-तिहाई सांसद इसका समर्थन करें। लोकसभा में कुल 542 सीटें हैं, जिनमें से 361 सांसदों का समर्थन चाहिए। एनडीए के पास मात्र 293 सांसद हैं। भले ही गठबंधन के बाहर के दल समर्थन करें, फिर भी आवश्यक संख्या पूरी नहीं हो पाती। यही स्थिति राज्यसभा की भी है, जहाँ 239 सदस्यों में से 160 की आवश्यकता होती है, जबकि एनडीए के पास 132 ही सदस्य हैं।

राज्यसभा में समर्थन जुटाना भी मुश्किल

राज्यसभा में एनडीए को बीजेडी, बीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन मिलने पर भी आवश्यक संख्या तक पहुंचना संभव नहीं दिखता। इसलिए बिना बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग या अन्य दलों के समर्थन के इस विधेयक को पारित कराना लगभग नामुमकिन है।

संघीय ढांचे के कारण राज्यों में भी मंजूरी जरूरी

अगर केंद्र में यह माना भी जाए कि विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो जाता है, तो अगला कदम इसे आधे से अधिक राज्यों की विधानसभाओं में मंजूरी दिलवाना होगा। यह एक संघीय प्रक्रिया का हिस्सा है, जो केंद्र के लिए फिर भी अधिक कठिन नहीं है क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगी कई राज्यों में मजबूत स्थिति में हैं।

पारित होने से पहले बड़ी राजनीतिक चुनौती

यह विधेयक ‘दागी’ नेताओं को पद से हटाने के लिए एक अहम कदम हो सकता है, लेकिन इसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। राजनीतिक गठबंधन और विपक्ष की सहमति के बिना यह कानून बनना फिलहाल दूर की कौड़ी दिख रहा है। वहीं, राज्यों में इसे मंजूरी दिलाना भाजपा के लिए अपेक्षाकृत आसान काम हो सकता है।

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