Census 2027: भारत सरकार ने आगामी जनगणना 2027 के लिए विस्तृत कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इस बार जनगणना को दो चरणों में आयोजित किया जाएगा और पूरी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से संपन्न होगी। साथ ही, पहली बार जातियों की गिनती भी की जाएगी। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस संबंध में जानकारी दी।
दो चरणों में होगी जनगणना
जनगणना का पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा। इस दौरान हाउस लिस्टिंग और हाउस सेंसस किया जाएगा, जिसमें घरों की संख्या, उनकी स्थिति और अन्य बुनियादी जानकारी दर्ज की जाएगी। दूसरा चरण फरवरी 2027 में आयोजित होगा। इस चरण में जनसंख्या गणना (Population Enumeration) की जाएगी। यानी देश की कुल जनसंख्या, उसकी संरचना और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पहलुओं का विस्तृत रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा।
विशेष क्षेत्रों के लिए अलग समय
नित्यानंद राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख जैसे बर्फ से ढके नॉन-सिंक्रोनस इलाकों में जनगणना का कार्य पहले चरण में ही किया जाएगा। इन क्षेत्रों में जनगणना सितंबर 2026 में होगी और इसकी रेफरेंस तारीख 1 अक्टूबर 2026 रखी गई है। बाकी देश में जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में होगी और इसकी रेफरेंस तारीख 1 मार्च 2027 तय की गई है।
डिजिटल होगी पूरी प्रक्रिया
इस बार जनगणना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरा प्रोसेस डिजिटल रहेगा।
- डेटा संग्रह के लिए मोबाइल एप का इस्तेमाल किया जाएगा।
- नागरिकों को स्वयं गिनती के लिए ऑनलाइन विकल्प भी उपलब्ध कराया जाएगा।
- इससे प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और त्रुटि-रहित होने की उम्मीद है।
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जातियों की गिनती भी होगी

गृह राज्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बार जनगणना में जातियों की गणना शामिल की जाएगी। इससे सामाजिक संरचना और विभिन्न वर्गों की स्थिति का अधिक सटीक आकलन किया जा सकेगा। यह कदम नीति निर्माण और सामाजिक योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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सवालों की सूची और तैयारी
नित्यानंद राय ने बताया कि जनगणना शुरू करने से पहले अलग-अलग मंत्रालयों, विभागों, संगठनों और जनगणना डेटा उपयोगकर्ताओं से सुझाव लिए जाते हैं। इन्हीं इनपुट्स के आधार पर जनगणना के सवालों की अंतिम सूची तैयार की जाती है। इससे सुनिश्चित होता है कि जनगणना के दौरान एकत्रित जानकारी भविष्य की योजनाओं और नीतियों के लिए उपयोगी साबित हो।
