Navratri Maa Kushmanda Puja:आज का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिन चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन के रूप में मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, आज की तिथि 02 अप्रैल 2025 को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और पंचमी तिथि है। इस दिन विशेष रूप से मां कूष्मांडा और मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व है। आइए जानते हैं कि आज के पंचांग में क्या खास है और किस प्रकार के शुभ-अशुभ योग बन रहे हैं।
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चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन – महत्व और पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन विशेष रूप से मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कूष्मांडा को सृष्टि की उत्पत्ति का कारण माना जाता है। माना जाता है कि जब सृष्टि का निर्माण हुआ था, तब मां कूष्मांडा ने अपने उज्जवल रूप से सम्पूर्ण ब्रह्मांड को रोशन किया था। इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
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पंचमी तिथि – स्कंदमाता की पूजा का महत्व
02 अप्रैल को पंचमी तिथि भी है, जिस पर स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं, और इन्हें युद्ध में विजय दिलाने वाली देवी माना जाता है। इस दिन स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। पंचमी तिथि पर व्रत करने से विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में रुकावटें दूर होती हैं।
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शुभ और अशुभ योग का संयोग

पंचांग के अनुसार, आज कई शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। इन योगों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। आज के दिन कुछ विशेष योगों का निर्माण हो रहा है, जिनसे जीवन में उन्नति और हानि दोनों हो सकती है। इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इस दिन विशेष सावधानी बरतते हुए अपनी पूजा और व्रत को ध्यानपूर्वक करें।
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आज के शुभ मुहूर्त
यदि आप पूजा-अर्चना या कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं, तो सही मुहूर्त का चुनाव करना जरूरी है। पंचांग के अनुसार, आज के दिन कुछ विशेष शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जिनमें पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों को करना अत्यधिक लाभकारी हो सकता है।
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व्रत और पूजा के लाभ
चैत्र नवरात्रि के इस दिन विशेष रूप से व्रत करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही, यह दिन संतान सुख और शांति की प्राप्ति के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। इन तिथियों पर व्रत करने से साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं और उसे मानसिक संतुष्टि मिलती है।

