Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र 2025 का पर्व इस वर्ष विशेष रूप से अद्भुत संयोगों से भरपूर है। खासकर नवरात्र के दूसरे दिन, यानी 31 मार्च को, दुर्लभ शिववास योग और कई अन्य शुभ योग बन रहे हैं, जो भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी माने जा रहे हैं। इस दिन की महत्वता बढ़ जाती है क्योंकि इस दिन महादेव शिव और देवी गौरी की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।

किस माँ की होती है पूजा-आराधना?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 31 मार्च को चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि है। इस दिन को मां दुर्गा के दूसरे रूप ‘मां ब्रह्मचारिणी’ की पूजा का दिन माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से जीवन में तप, साधना और संयम की शक्ति प्राप्त होती है। साथ ही इस दिन नवरात्र का व्रत रखकर भक्त मां ब्रह्मचारिणी से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
शिववास योग से लगेंगे चारचांद
दूसरे दिन शिववास योग का विशेष महत्व है। यह योग सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस समय में भगवान शिव और मां गौरी कैलाश पर्वत पर एक साथ होंगे। यह समय विशेष रूप से शिव और गौरी की पूजा के लिए श्रेष्ठ है। शिववास योग में पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि आय में भी वृद्धि होती है और सौभाग्य में चार चांद लगते हैं। विशेष रूप से इस दिन किया गया पूजन साधक के लिए अनेक पुण्यकारी और सुखकारी फल लेकर आता है।

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द्वितीय तिथि पर होंगे तीन अद्भुत संयोग
नवरात्र के दूसरे दिन तीन अद्भुत संयोग बन रहे हैं, जो सामान्य रूप से नहीं होते। इन संयोगों में विशेष रूप से शिववास योग, बुधादित्य योग और रवी योग शामिल हैं। ये योग विशेष रूप से साधक के लिए भाग्य को बदलने वाले होते हैं। माना जाता है कि इन योगों के दौरान देवी मां की पूजा करने से जीवन में समृद्धि और सकारात्मक बदलाव आता है।
इसके अलावा, इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह समय विशेष रूप से हर प्रकार की पूजा, व्रत और साधना के लिए अत्यधिक फलदायी होता है। इस दिन, साधक जो भी मनोकामनाएं करते हैं, वे पूरी होती हैं। इसके साथ ही, भगवान शिव और मां ब्रह्मचारिणी के प्रति श्रद्धा और भक्ति से जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

