Chamoli Cloudburst: उत्तराखंड में मानसून का कहर लगातार जारी है। ताज़ा घटनाक्रम में चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में बादल फटने और भूस्खलन से बड़ा नुकसान हुआ है। इस आपदा में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पांच लोगों को मलबे से जिंदा बाहर निकाले गए है। वहीं 6 अन्य लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
बादल फटने से तबाही
18 सितंबर यानी बीते दिन तड़के नंदानगर क्षेत्र के चार गांवों जैसे की कुंतरी लगा फाली, कुंतरी लगा सरपाणीं, सेरा और धुर्मा—में बादल फटने से भारी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में करीब 45 मकान और 15 गोशालाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गईं। कुंतरी लगा फाली गांव में मलबे में दबे चार व्यक्तियों को जीवित निकाला गया, जबकि धुर्मा गांव से एक व्यक्ति को सुरक्षित बाहर लाया गया।
मृतक और घायलों की स्थिति
एक रिपोर्ट के अनुसार, कुंतरी लगा फाली गांव में 38 साल के नरेंद्र सिंह और कुंतरी लगा सरपाणीं गांव में 70 वर्षीय जगदंबा प्रसाद का शव बरामद हुआ है। घटना में कुल 12 लोग घायल हुए हैं, जिनमें गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया है। इनमें एक बच्चा भी शामिल है, जिसके सिर में गंभीर चोट आई है।
लापता लोगों की तलाश

रिपोर्ट के मुताबिक, छह लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं। इनमें से चार कुंतरी लगा फाली, एक कुंतरी लगा सरपाणीं और एक धुर्मा गांव का निवासी है। राहत एवं बचाव दल लगातार उनकी तलाश में जुटा हुआ है। प्रभावित गांव देहरादून से करीब 260 किलोमीटर और चमोली मुख्यालय गोपेश्वर से लगभग 50 किलोमीटर दूर हैं।
मुख्यमंत्री धामी का निरीक्षण और निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की सूचना मिलते ही एसईओसी पहुंचकर स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए। धामी ने कहा कि चार स्थानों पर बादल फटने और मलबा आने से भारी तबाही हुई है, जिससे 200 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने अधिकारियों को बिजली, पानी, सड़क और नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं की तत्काल बहाली करने और प्रभावित लोगों के लिए भोजन, आश्रय और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
राहत और बचाव कार्य

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस और दमकल विभाग की टीमें मौके पर मौजूद हैं और राहत-बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। कुंतरी लगा फाली गांव से 150 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
इंडियन रेडक्रॉस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बताया कि रास्ते बंद होने के कारण बचाव दलों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में कठिनाई हुई। भारी बारिश के दौरान पहाड़ी से तीन जगहों पर मलबा और पानी बहकर आया, जिससे गांव तबाह हो गया।
