Chandra Grahan 2025: रविवार की रात एक दुर्लभ और आकर्षक खगोलीय घटना होने जा रही है — वर्ष 2025 का अंतिम चंद्रग्रहण। यह ग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक शानदार दृश्य लेकर आएगा। दिल्ली, नैनीताल सहित देश के कई हिस्सों से यह नजारा साफ देखा जा सकेगा।यह चंद्रग्रहण रात 8:58 बजे से शुरू होकर 2:25 बजे तक चलेगा, जिसकी कुल अवधि 5 घंटे 27 मिनट होगी। इस दौरान चंद्रमा तीन बार रंग बदलेगा, जो इसे और भी रोमांचक बना देगा।
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चंद्रमा का रंग बदलेगा तीन बार
इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग सफेद से धीरे-धीरे धुंधला होकर नारंगी और फिर गहरे लाल रंग में बदल जाएगा। इस लालिमा की वजह पृथ्वी की छाया है, जो चंद्रमा पर पड़ती है। खगोलविदों के अनुसार, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं, तो पृथ्वी की वायुमंडलीय परतें सूर्य की नीली रोशनी को छान देती हैं और केवल लाल प्रकाश चंद्रमा तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लड मून का दृश्य बनता है।
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ग्रहण की चरणबद्ध प्रक्रिया
चंद्रग्रहण चार चरणों में दिखेगा। पहले चरण में चंद्रमा हल्के धुंधले रंग का नजर आएगा। रात 9:57 बजे तक यह धुंधलापन बढ़ता रहेगा। फिर रात 11 बजे के आसपास चंद्रमा पूर्णतः पृथ्वी की छाया में आ जाएगा, जिससे वह गहरा नारंगी और फिर लाल दिखाई देगा।इसके बाद चंद्रमा फिर से धीरे-धीरे नारंगी होते हुए अपनी सामान्य स्थिति में लौटेगा। करीब 1:25 बजे चंद्रमा आंशिक ग्रहण से बाहर आ जाएगा और अंततः 2:25 बजे ग्रहण पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
सूर्यास्त जैसा दिखेगा चंद्रमा
नैनीताल स्थित एरीज संस्था के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार, पूर्ण चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा का दृश्य सूर्योदय या सूर्यास्त के समय जैसा लगेगा। यह एक दुर्लभ खगोलीय अनुभव होता है, जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है और इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती।
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श्राद्ध कर्म पर सूतक का प्रभाव नहीं
यह ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को लग रहा है, जो पितृपक्ष की शुरुआत का दिन होता है। कई लोग इस दिन श्राद्ध करते हैं और पितरों को तर्पण अर्पण करते हैं। हालांकि, काशी के विद्वानों और बीएचयू ज्योतिष विभाग के अनुसार, इस चंद्रग्रहण का सूतक श्राद्ध कर्मों पर प्रभाव नहीं डालेगा।
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अगला पूर्ण चंद्रग्रहण कब?
अगर आप यह अद्भुत नजारा नहीं देख पाए, तो अगली बार 2 मार्च 2026 को पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा। इसके बाद क्रमशः 31 दिसंबर 2028, 25 जून 2029 और 25 अप्रैल 2032 को भी इस तरह की घटनाएं देखने को मिलेंगी।
