Chandra Grahan 2025: सितंबर 2025 में होने वाला चंद्र ग्रहण न केवल खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी खास है। यह ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, जिससे इसका सूतक काल यहां मान्य होगा। इस लेख में हम आपको सितंबर 2025 में होने वाले चंद्र ग्रहण की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें इसके समय, तारीख और सूतक काल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं।
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चंद्र ग्रहण का समय और तारीख
7 सितंबर 2025, रविवार को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, जिससे इसके महत्व में और भी वृद्धि हो जाती है। यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद मास की पूर्णिमा को पड़ेगा, जो श्राद्ध पक्ष का पहला दिन होता है। विशेष रूप से, इस दिन चंद्र ग्रहण का होना एक दुर्लभ संयोग है, जो कई दशकों में एक बार होता है। इस ग्रहण से पहले, भारत में 29 अक्टूबर 2023 को चंद्र ग्रहण देखा गया था।
चंद्र ग्रहण की टाइमिंग
विद्वानों के अनुसार, 7 सितंबर 2025 को होने वाला चंद्र ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा और मध्य रात्रि 1:27 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण भारत के अलावा अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, यूरोप और अन्य क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। जहां-जहां यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा, वहां पर उसकी धार्मिक मान्यता होगी।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल
7 सितंबर 2025 को होने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण के साथ ही समाप्त होगा। सूतक काल को धार्मिक ग्रंथों में अशुभ समय माना गया है, और इस दौरान कई विशेष सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है।
सूतक काल में क्या करें और क्या नहीं?
सूतक काल के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, जिनसे हम शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रह सकते हैं।
खाने-पीने में सावधानी
सूतक काल के दौरान कोई भी खाना-पीना नहीं करना चाहिए। यदि खाद्य पदार्थों को रखना आवश्यक हो तो उसमें तुलसी या दूर्वा डालकर रखें। यह उपाय धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
पूजा-पाठ से बचें
सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कार्यों से बचना चाहिए। भगवान के मंदिरों पर परदा डालने की सलाह दी जाती है। हालांकि, आप भगवान के मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जो शुभ रहेगा।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार के धारदार चीजों का उपयोग करने से बचना चाहिए। यह विशेष सावधानी उनके और शिशु की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
ब्रह्मचर्य का पालन करें
सूतक काल के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। इसका अर्थ है कि इस दौरान किसी भी प्रकार की भोगविलासिता से बचना चाहिए।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।