Air India: दिल्ली से अमृतसर जाने वाली एयर इंडिया की एक फ्लाइट में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब टेकऑफ से ठीक पहले पायलट ने विमान को रोक दिया। जानकारी के अनुसार, यह एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर था, जिसमें दर्जनों यात्री सवार थे। विमान रनवे पर उड़ान भरने ही वाला था, लेकिन अंतिम क्षणों में पायलट ने सुरक्षा के मद्देनज़र उड़ान रोकने का निर्णय लिया।विमान को रोकने के कारणों की अब तक एयर इंडिया की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन इस अचानक हुए घटनाक्रम के बाद यात्रियों में घबराहट का माहौल बन गया। एक यात्री ने कहा, “शुक्र है कि आज हमारी जान बच गई।”
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हाल के दिनों में एयर इंडिया की उड़ानों में लगातार आ रहीं बाधाएं
यह कोई पहली घटना नहीं है जब एयर इंडिया की उड़ानों में ऐसी रुकावटें आई हों। बीते कुछ दिनों में एयरलाइन की कई उड़ानें तकनीकी कारणों या आपात स्थितियों के चलते प्रभावित हुई हैं।मुंबई से जोधपुर फ्लाइट को भी टेकऑफ से पहले रोका गया । 22 अगस्त को, एआई645 फ्लाइट जो मुंबई से जोधपुर जा रही थी, उसे भी टेकऑफ से ठीक पहले रोक दिया गया। एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा,”हमारे लिए यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी संभावित खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
बम की धमकी से मचा हड़कंप
इसी दिन, मुंबई से तिरुवनंतपुरम जा रही एक एयर इंडिया फ्लाइट में बम की धमकी के बाद तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर आपातकाल घोषित कर दिया गया।विमान को तुरंत आइसोलेशन बे में ले जाया गया और सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। यह घटना सुबह करीब 8 बजे हुई और यात्रियों के बीच इस दौरान जबरदस्त भय और तनाव का माहौल था।
कोच्चि-दिल्ली फ्लाइट में तकनीकी खराबी
17 अगस्त को, कोच्चि से नई दिल्ली जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI504 में टेकऑफ के दौरान तकनीकी खराबी का पता चला। पायलटों ने तत्काल मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए विमान को रनवे से वापस बे पर ले जाकर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। इससे उड़ान में काफी देरी हुई, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ।
यात्रियों की सुरक्षा सबसे ऊपर – एयर इंडिया
हाल के इन लगातार मामलों ने एयर इंडिया की परिचालन गुणवत्ता पर सवाल जरूर खड़े किए हैं, लेकिन एयरलाइन बार-बार यह दोहरा रही है कि वह किसी भी स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा से समझौता नहीं करती।विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि टेकऑफ से ठीक पहले उड़ान रोकना कोई हल्की बात नहीं होती और यह कदम तभी उठाया जाता है जब संभावित खतरा बहुत गंभीर हो।
