Chaurchan festival: मिथिलांचल में श्रद्धा और आस्था से भरा चौरचन पर्व इस साल 26 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन राज योग भी बन रहा है, जो इस पर्व को और भी खास बना देता है। खास बात यह है कि ये पर्व मुख्य रूप से बिहार के मिथिला क्षेत्र में मनाया जाता है और इसमें चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है।
Read more: Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर कब करें पूजा? जानें शुभ मुहूर्त
क्या है चौरचन पर्व?

चौरचन पर्व, जिसे “चौथ चंद्र” या “चंद्र पूजा” भी कहा जाता है, मिथिलांचल में मनाया जाने वाला प्राचीन और लोक परंपरा से जुड़ा त्यौहार है। जहां अधिकतर पर्वों में सूर्य देव की पूजा होती है, वहीं इस त्यौहार में चंद्र देवता को विशेष रूप से पूज्य माना जाता है। इस दिन दही और फलों से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, जिससे समृद्धि, सुख और शांति प्राप्त होती है।
पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
चौरचन पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है। इस साल पूजा का शुभ समय संध्या 7:52 बजे तक बताया गया है। पूजन स्थल को स्वच्छ कर रंगोली बनाई जाती है, फिर चंद्रमा की ओर मुख कर के दही, केला, नारियल, मिठाई और अन्य फलों से अर्घ्य अर्पण किया जाता है। साथ ही घर की महिलाएं विशेष पकवान बनाती हैं और चंद्रमा को देखकर उन्हें अर्पित करती हैं।
पर्व का सामाजिक महत्व
चौरचन न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह त्यौहार संपन्नता, समृद्धि और पारिवारिक सुख-शांति की भावना को बल देता है। इस दिन बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग चंद्रमा की पूजा में शामिल होते हैं।
चौरचन पर्व एक आस्था, परंपरा और ज्योतिषीय विज्ञान का संगम है। मिथिलांचल में यह पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। चंद्र देव को अर्घ्य देकर पूर्ण ऐश्वर्यता और सुख की प्राप्ति की कामना की जाती है।

Read more: Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष से पहले इन चीजों को करें घर से बाहर, वरना नहीं मिलेगी पूर्वजों की कृपा
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

