Chhath Puja 2025: छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए समर्पित होता है, जब व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस साल यह दिन पूरे देश में श्रद्धा, पवित्रता और अनुशासन के साथ मनाया गया। बिहार, दिल्ली, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में छठ पर्व की रौनक देखते ही बन रही थी।
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संध्या अर्घ्य का समय और पूजा विधि

इस वर्ष सूर्यास्त का समय शाम 4:50 से 5:51 बजे तक रहा। इस दौरान घाटों, तालाबों और कृत्रिम जलाशयों पर व्रतियों की लंबी कतारें देखी गईं। महिलाएं पारंपरिक साज-सज्जा में फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद से भरी डलियाँ लेकर घाटों पर पहुंचीं। उन्होंने विधिपूर्वक सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया। दिल्ली के यमुना घाट, पटना के गंगा घाट, रांची तालाब, वाराणसी, लखनऊ और नोएडा जैसे शहरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। “छठी मैया के गीतों” की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
चार दिवसीय छठ व्रत की संरचना
छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है-
पहला दिन – नहाय-खाय: व्रत की शुरुआत शुद्ध आहार से होती है।
दूसरा दिन – खरना: इस दिन गुड़-चावल की खीर का प्रसाद बनता है और व्रत की शुरुआत होती है।
तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य: डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है।
चौथा दिन – उषा अर्घ्य: उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।
व्रती इस पर्व में 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं और अत्यंत पवित्रता, संयम और श्रद्धा का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा से संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
राजधानी से महानगरों तक छठ की रौनक
बिहार की राजधानी पटना के गंगा घाट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। दिल्ली के यमुना घाट, नोएडा सेक्टर 94, रांची तालाब और अन्य प्रमुख स्थानों पर भी छठ पूजा की भव्यता देखने को मिली। प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता की पुख्ता व्यवस्था की थी। कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भक्ति गीतों ने माहौल को उत्सवमय बना दिया।
व्रती महिलाएं पारंपरिक साड़ियों में सज-धजकर सूर्यदेव से अपने परिवार के कल्याण, संतान सुख और समृद्ध जीवन की कामना करती नजर आईं।
उषा अर्घ्य के साथ होगा पर्व का समापन

छठ महापर्व का समापन 28 अक्टूबर की सुबह 6:30 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले घाटों पर पहुंचकर सूर्यदेव को जल अर्पित करेंगी और व्रत का पारण करेंगी।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
